बुधवार, 20 अप्रैल 2016

तुम तो जिगरी यार हो

तुम तो जिगरी यार हो
==================
दोस्त बनकर आये हो तो
मित्रवत तुम दिल रहो
गर कभी मायूस हूँ मैं
हाल तो पूछा करो ..?
-------------------------------
पथ भटक जाऊं अगर मैं
हो अहम या कुछ गुरुर
डांटकर तुम राह लाना
(मित्र है क्या ........?)
याद रखना तुम जरूर
------------------------------
तुम हो प्रतिभा के धनी हे ! 
और ऊंचे तुम चढ़ो
पर न सीढ़ी नींव अपनी
सपने भी -भूला करो
------------------------------
हे सखा या सखी मेरे
प्रेम के रिश्ते बने हैं
सम्पदा ये महत् मेरी
भाव भक्ति के सजे हैं
--------------------------------
जिसको मानो तुम प्रभू सा
मान नित दिल से करो
कृष्ण सा निज भूल करके
मित्र की पूजा करो
--------------------------------
जितने  गुण  हैं मित्र में  वो
ग्रहण कर तू बाँट दे
बांटने से और बढ़ता
परख ले पहचान ले
---------------------------------
सुख भी मिलता मन है खिलता
आत्म संयम जागता है
भय हमारा भागता है
ना अकेले हम धरा पर
संग तुम -परिवार हो
खिलखिला दो हंस के कह दो
तुम तो जिगरी यार हो
=================
सुरेन्द्र कुमार शुक्ल भ्रमर ५
कुल्लू हिमाचल भारत
१५.४.२०१६
८ पूर्वाह्न -८.१४ पूर्वाह्न 

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें