मंगलवार, 26 मार्च 2013

पक रही है मुलायम और बीजेपी में खिचड़ी ?

मंगल यादव देश की सियासत की मजबूत कड़ी माने जाने वाली समाजवादी पार्टी के रंग में फिर से बदलाव आता दिख रहा है। पार्टी मुखिया मुलायम सिंह यादव के रिश्ते सार्वजनिक तौर पर बीजेपी से अच्छे नही माने जाते। लेकिन अभी हाल में पार्टी के दो प्रमुख नेताओं मुलायम सिंह यादव और रामगोपाल यादव के बयानों से तो यही लगता है कि आने वाले समय में देश की राजनीति में कुछ चौकाने वाली कुछ राजनीतिक गतिविधियां आ सकती हैं। आमतौर पर भाजपा की आलोचना करने वाली समाजवादी पार्टी के सुर एकाएक बदल कैसे गए। पहले तो रामगोपाल यादव ने अटल विहारी वाजपेयी की नेतृत्व वाली एनडीए शासनकाल की खूब तारीफ की फिर उनके बड़े भाई और पार्टी सुप्रीमों मुलायम सिंह यादव ने लालकृष्ण आडवाणी की तारीफ कर दी। राजनीति के पंडित कई तरह के कयास लगा रहे हैं। कुछ लोगों का मानना है कि मुलायम सिंह कांग्रेस को डरा रहे हैं इसलिए ऐसी बयानबाजी कर रहे हैं। वहीं दूसरी तरफ कुछ लोगों का मानना है कि 2014 में होने वाले लोकसभा में मुलायम नया पैतरा चलेगें। क्योंकि आम चुनाव में इस बार कांग्रेस की सरकार बनेगी इसकी उम्मीद कम ही लगती है। मुलायम सिंह यादव शायद इसी स्थिति को भांप कर बीजेपी से नजदीकी बनाने की कोशिश कर रहे हैं। ऐसा नही है सिर्फ मुलायम सिंह का बीजेपी की ओऱ एकतरफा झुकाव हो रहा है। मुलायम सिंह पर बेनी प्रसाद के विवादित बयान पर बीजेपी मुलायम के साथ दिखी। बेनी मुद्दे पर लोकसभा में विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज ने मुलायम सिंह का भरपूर साथ दिया। यह सब घटनाक्रम यह दर्शाता है कि आगामी लोकसभा चुनाव के मद्देनजर बीजेपी और मुलायम में कुछ न कुछ जरुर खिचड़ी जरुर पक रही है। मुलायम सिंह यादव का सार्वजनिक स्थान पर कहना कि लालकृष्ण आडवाणी कभी झूठ नही बोलते। ये महज सियासी दांव नहीं बल्कि बीजेपी प्रेम ही है जो कांग्रेस की दिनों-दिन गिरती साख के कारण उभरता दिख रहा है। यूपीए सरकार के सहयोगी दिन-दिन सरकार से बाहर होते जा रहे हैं और कांग्रेस के कुछ नेता यूपी में समाजवादी पार्टी के सरकार पर कानून व्यवस्था पर सवालिया निशान लगा रहे हैं। केंद्रीय मंत्री बेनी प्रसाद ने मुलायम पर कमीशन खाकर समर्थन देने की बात कहकर सपा को पहले ही नाराज कर चुके हैं। वैसे भी कभी मुलायम के करीबी रहे बेनी की आजकल नेता जी से बन नही रही है। कांग्रेस नेताओं के बेलगाम बयान से मुलायम सिंह नाराज भी हैं। संसद में कई मुद्दों पर कांग्रेस सरकार उन्हें अनसुना भी कर दिया है। ऐसे में मुलायम सिंह की कांग्रेस से बेरुखी एक तरफ जहां जायज लगती हैं वही दूसरी तरफ मुलायम की नई राजनीतिक चाल भी। अगर बीजेपी से मुलायम के रिश्ते सुधरते हैं तो निश्चित रुप से आने वाले समय में केंद्र की राजनीति में दूरगामी परिणाम देखने को मिलेगें। केंद्र की यूपीए सरकार को बाहर से समर्थन दे रही समाजवादी पार्टी की कई मुद्दों पर सरकार से तू-तू-मैं-मैं होती रही है। एफडीआई और प्रमोशन में आरक्षण बिल समेत कई बिल में बीजेपी औऱ सपा की समान राय रही है। गैस सिलेंडर सहित कई चीजों के मूल्य वृद्धि के खिलाफ भी सपा की सरकार से नाराजगी जगजाहिर रही है। समय-समय पर मुलायम सिंह कांग्रेस के नेतृत्व वाली सरकार को घेरते भी रहे हैं। कई मामलों में मुलायम ने सरकार से अपनी नाराजगी भी जाहिर भी की है। अगर यूपीए एक और दो की बात करें तो कांग्रेस ने मुलायम को यूज एंड थ्रो वाली नीति की तरह ही इस्तेमाल किया है। मौजूदा हालात में यूपीए सरकार यूपी की दो सबसे बड़ी पार्टियों सपा और बसपा की बैशाखी पर ही टिकी हुई हैं। ऐसे हालात में मुलायम का बीजेपी की तरफ झुकाव कांग्रेस के लिए मुश्किल खड़ा कर सकता है। फरवरी के अंतिम सप्ताह में मुलायम ने बीजेपी के प्रति नरम रुख दिखाते हुए कहा था कि यदि बीजेपी मुसलमानों औऱ मंदिर-मस्जिद के प्रति अपनी सोच और विचारधारा में बदलाव करे तो बीजेपी से हाथ मिलाने में उन्हें कोई दिक्कत नही होगी। जवाब में बीजेपी अध्यक्ष राजनाथ सिंह ने मुलायम सिंह से कहा कि अगली बार हम दोनों साथ में बैठेगें। मुलायम सिंह ने राजनाथ सिंह के सुर में सुर मिलाते हुए कहा देशभक्ति, सीमा सुरक्षा और भाषा के मामले में उनकी पार्टी और बीजेपी की एक नीति है। संसद में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर प्रतिक्रिया देते हुए सपा सुप्रीमों ने आरोप लगाया था कि मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने किसानों, मुसलमानों, देश की बाह्य और आंतरिक सुरक्षा, बेरोजगारी और गरीबों की स्थिति को सुधारने की दिशा में कोई पहल नहीं की है। यूपी में नेता जी के नाम से मशहूर मुलायम ने सरेआम कहा कि इसके बावजूद यूपीए सरकार का बाहर से समर्थन देना उनकी मजबूरी है। हालांकि मायावती और मुलायम दोनों कहते रहे हैं कि सांप्रादायिक ताकतों को दूर रखने के लिए यूपीए सरकार को समर्थन दे रहे हैं। लेकिन मुलायम सिंह ने यह नही बताया कि कांग्रेस को समर्थन देना उनकी पार्टी की क्या मजबूरी है। इस मुद्दे पर बीजेपी कहती रही है कि मुलायम सीबीआई से बचने के लिए ही कांग्रेस को समर्थन दे रहे हैं। लेकिन यह बात तो सत्य है मुलायम सिंह ने कई बार यूपीए सरकार को मुश्किलों से बाहर निकाला है। बीजेपी की तरफ झुकना मुलायम की मजबूरी कहें या फिर कुछ कांग्रेसी नेताओं की तल्ख टिप्पणी जो भी हो अंदर ही अंदर कुछ न कुछ मुलायम और बीजेपी की खिचड़ी पकने के संकेत कांग्रेस के लिए बड़ी चुनौती खड़ी कर सकते हैं। आपको बता दें कि 16 मार्च को केंद्रीय मंत्री बेनी प्रसाद मुलायम पर संगीन आरोप लगाया था कि वे समर्थन देते हैं तो कमीशन भी लेते हैं। बेनी यहीं पर नहीं रुके उन्होंने मुलायम को बेईमान तक कहा। आतंकवादियों से रिश्ते होने तक आरोप जड़ दिए बेनी प्रसाद ने मुलायम पर। हांलाकि कांग्रेस के आला नेताओं ने बेनी के बयान पर अफसोस तो जताया लेकिन मुलायम सिंह के खुश नहीं कर पाए। ऐसा लगता है अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव की तैयारी कर रही समाजवादी पार्टी लोकसभा चुनाव में कोई नया राजनीतिक साथी ढूढ़ रही है। वैसे तो पिछले कई वर्षों से कई क्षेत्रिय दलों को मिलाकर तीसरे मोर्चे की बात की जाती रही है। लेकिन मौजूदा हालात में सपा को कोई ऐसा साथी नही मिलता दिख रहा है जो कांग्रेस और बीजेपी को कड़ा टक्कर दे सकें। शायद इसी वजह से वक्त की नजाकत को भांपते हुए मुलायम सिंह बीजेपी से नजदीकियां बढ़ाना चाहते हैं। जिससे केंद्र की राजनीति में अपनी मौजूदगी दर्ज करवा सकें। बीजेपी की स्थिति यूपी में दुबली है..और काफी समय से बीजेपी सत्ता से दूर है। बीजेपी भी चाहती है कि उसे कोई ऐसा साथी मिले जो केंद्र में सरकार बनाने में उसकी अहम मदद कर सके। गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र भाई मोदी बीजेपी की तरफ से प्रधानमंत्री पद की मजबूत दावेदारों में हैं। लोकसभा चुनाव 2014 में अगर बीजेपी सरकार बनाने की स्थिति में पहुंची है तो बीजेपी की सहयोगी पार्टी जनता दल यू के नेता नीतीश कुमार नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री बनाए जाने का विरोध करेंगे। बीजेपी को लगता है यदि जेडीयू समर्थन वापस लेती है तो उसके विकल्प के रुप में मुलायम सिंह का सहारा उनके पास रहे। जिस प्रकार मुलायम सिंह कई बार यूपीए सरकार के लिए संकटमोचक बनकर उभरे उसी प्रकार एनडीए से किसी पार्टी के समर्थन वापसी के दौरान सपा का विकल्प बीजेपी के पास मौजूद रहे।

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