बुधवार, 29 अगस्त 2012

निःशुल्क चिकित्सा शिविर

निःशुल्क चिकित्सा शिविर


बड़े हर्ष के साथ सूचित किया जा रहा है कि दिनांक- 09 सितंबर 2012, दिन- रविवार को अमर वीर इण्टर कालेज, धानापुर में अदनान वेलफेयर सोसाइटी के तत्वाधान में निःशुल्क चिकित्सा शिविर का आयोजन किया गया है।
चिकित्सा शिविर में अति विशिष्ट चिकित्सकों की टीम द्वारा मरीजों का निःशुल्क परीक्षण किया जाएगा। शिविर में जनरल फिजिशियन, अस्थि रोग, नेत्र रोग, स्त्री व प्रसूत रोग, बाल रोग एवं दंत व मुख कैंसर रोग विषेषज्ञ चिकित्सक मौजूद रहेंगे।
आप समस्त क्षेत्रवासयिों से अपील की जाती है कि भारी संख्या में पहुंच कर चिकित्सा शिविर का लाभ उठायें।

अधिक जानकारी के लिए सम्पर्क करें-
08896653900, 9807765879

सोमवार, 27 अगस्त 2012

बेटी बचाओ अभियान में जोड़ें एक नया अध्याय


कितना तड़पी होगी वो! क्या वो इसका मतलब भी समझती होगी? मानसिक एवं शारीरिक रूप से शोषित होती यह बच्ची, जब माँ बनने के अर्थ को समझ आने की अवस्था में होगी, तब उस सुंदर अहसास से परे घृणित भाव से भरी होगी और घिरी होगी प्रश्नों के जंजाल में कि क्यों उसके माता-पिता ने ही उसके विश्वास को तार-तार किया? क्यों नहीं कर पाये वे उसकी रक्षा? क्यों ईश्वर उसकी किस्मत लिखते समय इतना निष्ठुर हो गया? कहाँ रहा नौ महीने ‘लड़कियों का रक्षक समाज’? क्या उसकी पीड़ा की चीख़ किसी के कानों में नहीं पड़ी? क्या इतने दिन किसी की दृष्टि उसके उभारों से प्रश्न न कर सकी? क्या किसी के मन में उसके लिए करूणा नहीं उमड़ी? यहाँ तक कि उसके अपने माँ-बाप के मन में भी नही! वह तेरह वर्ष की उम्र में एक बच्ची की माँ बन गई। अभी तो वह खुद माँ की गोद में सिर रख दुलार के हाथ की प्रतीक्षा कर रही थी कि स्वयं उसकी गोद से किलकारियों की आवाजें आने लगी! कौन है इसका जिम्मेदार? वे जो उसके संरक्षक हैं या वह जो अपने हसरतें पूरी कर चला गया? क्या एक बार भी उन बाल अंगों पर तरस नहीं आया उसे? अब क्या? क्या अब उस मासूम को उन हाथों की कठपुतली बनने के लिए छोड़ देना चाहिये? क्या उनके साथ उसका व उसकी बच्ची का भविष्य सुरक्षित है? क्या गारंटी है कि भविष्य में वह बच्ची व उसकी बच्ची उन संरक्षकों के लिए कमाई का साधन नहीं बनेगी? क्या आयेगा कोई उन दोनों की रक्षा के लिए? और इन सबके साथ-साथ एक अन्य महत्त्वपूर्ण प्रश्न-चिन्हः आखि़र कब तक चलेंगी ये कहानियाँ? और कितनी लम्बी होगी यह कतार? ज़रा कचौटिये अपनी मृत भावनाओं को, शायद कोई हल निकल आये और बचपन की मीठी यादें ज़हरीले भाग्य से मुक्त हो जायें।

शनिवार, 25 अगस्त 2012

सहयोग की अपेक्षा




 
समाज सेवा के मकसद से अदनान वेलफेयर सोसाइटी  का गठन किया गया है।
आप सभी से सहयोग की अपेक्षा है।  
अपने विचार हमें प्रेषित करें..... 
adnanwelfaresociety@gmail.com 
फेसबुक पर जुड़ें.....
 http://www.facebook.com/adnanwelfaresociety

twitter...
 https://twitter.com/adnanwelfare

मंगलवार, 14 अगस्त 2012

केंद्रीय मंत्री विलासराव देशमुख नहीं रहे

नई दिल्ली- केंद्रीय मंत्री विलास राव देशमुख का चेन्नई में आज दोपहर निधन हो गया। वे पिछले दो महीने से बीमार थे। चेन्नई के ग्लोबल अस्पताल में उन्हें 6 अगस्त को भर्ती करवाया गया था। 67 वर्षीय विलास राव देशमुख का लीवर खराब था जिसके कारण उन्हें वेंटीलेटर पर रखा गया था। विलास राव देशमुख केंद्र सरकार में विज्ञान और तकनीक मामलों के मंत्री थे। वे दो बार महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री भी रहे। देशमुख ने अपना राजनीतिक सफर बतौर सरपंच शुरु किया था। वे 1974 में बाभलगांव के सरपंच चुने गए थे। इसके बाद वे पंचायत समिति के सभापति औऱ फिर जिला परिषद के अध्‍यक्ष चुने गए। देशमुख 1980 से 1995 तक लगातार तीन चुनावों में विधानसभा के लिए चुने गए और विभिन्न मंत्रालयों में मंत्री भी रहे। पहली बार विलासराव देशमुख 18 अक्टूबर 1999 से 16 जनवरी 2003 तक महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री रहे, जबकि दूसरी बार उनका कार्यकाल 7 सितंबर 2004 से 5 दिसंबर 2008 तक रहा। देशमुख के दूसरे कार्यकाल के दौरान मुंबई सीरियल ब्लास्ट हुआ जिसकी नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए उन्होंने अपना इस्तीफा दे दिया था। इसके बाद देशमुख केंद्रीय राजनीति में आए। और राज्यसभा के सदस्य बनें। इसके बाद उन्हें केंद्र सरकार में जगह मिली। विलास राव देशमुख का जन्म 26 मई 1945 को मध्य प्रदेश के लातूर जिले के बाभलगांव के एक मराठा परिवार में हुआ था। देशमुख पुणे विश्वविद्यालय से विज्ञान और ऑर्ट्स दोनों में स्नातक की पढ़ाई पूरी की। वे पुणे के ही इंडियन लॉ सोसाइटी लॉ कॉलेज से कानून की पढ़ाई की। विलासराव देशमुख की शादी वैशाली से हुई थी। देशमुख के तीन बेटे हैं–. अमित देशमुख, रितेश देशमुख और धीरज देशमुख। अमित देशमुख लातूर से कांग्रेस पार्टी से विधायक हैं। जबकि रितेश देशमुख बॉलीवुड जाने-पहचाने कलाकार हैं। विलास राव देशमुख सीधे-साधे स्वाभाव के व्यक्तित्व थे। उनका सभी पार्टियों के नेताओं से अच्छे संबंध थे। लोग उनका बड़ा सम्मान करते थे। देशमुख के अन्ना से अच्छे संबंध भी थे। अन्ना हजारे के अनशन के दौरान प्रधानमंत्री अपना दूत बनाकर विलासराव देशमुख को ही भेजे थे। देशमुख के द्वारा प्रधानमंत्री का आश्वासन मिलने के बाद ही अन्ना हजारे ने रामलीला मैदान में अपना अनशन तोड़ा था। हालांकि विलासराव देशमुख का नाता विवादों से भी रहा। विलासराव देशमुख का विवादों से भी नाता रहा. देशमुख अपने मुख्यमंत्रित्व काल में फिल्म निर्माता निर्देशक सुभाष घई को फिल्म संस्थान बनाने के लिए सरकार की ओर से 20 एकड़ जमीन मुहैया कराई थी। इस जमीन को 2012 में बंबई हाई कोर्ट ने रद्द कर दिया और सुभाष घई को जमीन लौटाने का आदेश दिया। इसके बाद राजनीतिक विरोधी इनके खिलाफ मोर्चा खोल दिया। 2010 में अपने भाई के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के मामले में मुंबई पुलिस पर दबाव डालने की शिकायत मिलने पर सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार पर 10 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया था। इस तरह से देशमुख को अपने विरोधियों की आलोचनाएं सहनी पड़ी थी। इसके अलावा विलास राव देशमुख पर आदर्श सोसाइटी केस में भी कई आरोप लगे।

शनिवार, 11 अगस्त 2012

दर्द का रास्ता

कर परिश्रम हार कर भी ,
जो व्यक्ति है थकता नहीं,
                   उस ह्रदय में फिर कभी
                     उत्साह मरता है नहीं .

बर्फ ,    अंगारे     बने
यदि ठान ले मन में इसे,
                 साम, दाम, दंड, भेद   भी
               न कर सके विचलित जिसे.

सुख सभी सांसारिक हैं
करे ? कैसे ? किस लिए ?
                  गम की सिरोही ढाल पर
                  लड़ता रहा जिसके लिए ?

प्यार कितना मधुर है..!
कैसे कहें ? न जान कर ,
                    प्याले जहर के पी लियें
                 जिसने हों अमृत मान कर.

मुस्कराहट    कह कहे ,
उदगार हैं खुशियों भरे,
                 माला पिरोनी आंसुओं की
                   हो   जिसे वह क्या करे  ?

एक   राही है अकेला ?
रस्ते विकट लम्बे पड़े ,
                    हर राह दुर्गम, ठौर निर्जन,
                       जंगल  सघन खतरे  बड़े .



सूत्र  छोटा   नहीं    होता
है सफलता का कभी भी,

                  लगन पक्की, लक्ष्य हो स्पष्ट
                  तो  होता  मुश्किल   नहीं  भी ..

**************
~ शिव प्रकाश मिश्रा

(मूल कृति 26-05-1980)

शुक्रवार, 10 अगस्त 2012

आज का इन्सान

सरे  बाज़ार   में   ईमान   धरम   बेंच रहे   हैं,
बोलियाँ बोल कर इन्सान का मन बेंच रहे हैं.
रक्त  अधरों   पे उदित   हास   क्या करे कोई ,
साजे गम फख्र के आने की झलक बेंच रहें हैं..

मांगने पर नहीं मिलता था कभी कुछ जिनसे,
धर्म   के   नाम  पर आकर के रहम बेंच रहे हैं.
आश  भगवान्   से   निर्विरोध क्या करे  कोई,
आज इन्सान  ही   इंसान को  खुद  बेंच रहें हैं..
                       *******
           - शिव प्रकाश मिश्र " निर्विरोध "
आपके पूर्वज जंगलों में बसे अशिक्षित नहीं थे, इस संसार को जागृत करने वाले महापुरुष थे | आपका इतिहास पराजय की गठड़ी नहीं है, वह विश्व-विजेताओं की गौरव-गाथा है | आपकी वैदिक ऋचाएं ग्वालों के गीत नहीं हैं, श्रीराम और श्रीकृष्ण जैसी महान आत्माओं को साकार करने वाले त्रिकालाबाधित सत्य हैं |"  
महर्षि दयानंद सरस्वती

पुराणों के कृष्ण बनाम महाभारत के कृष्ण



कृष्ण जन्माष्टमी पर सभी हिन्दू धर्म को मानने वाले भगवान श्री कृष्ण जी महाराज को याद करते हैं. कुछ उन्हें गीता का ज्ञान देने के लिए याद करते हैं कुछ उन्हें दुष्ट कौरवों का नाश करने के लिए याद करते हैं.पर कुछ लोग उन्हें अलग तरीके से याद करते हैं.
फिल्म रेडी में सलमान खान पर फिल्माया गया गाना “कुड़ियों का नशा प्यारे,नशा सबसे नशीला है,जिसे देखों यहाँ वो,हुसन की बारिश में गीला है,इश्क के नाम पे करते सभी अब रासलीला है,मैं करूँ तो साला,Character ढीला है,मैं करूँ तो साला,Character ढीला है.”
सन २००५ में उत्तर प्रदेश में पुलिस अफसर डी के पांडा राधा के रूप में सिंगार करके दफ्तर में आने लगे और कहने लगे की मुझे कृष्ण से प्यार हो गया हैं और में अब उनकी राधा हूँ. अमरीका से उनकी एक भगत लड़की आकर साथ रहने लग गयी.उनकी पत्नी वीणा पांडा का कथन था की यह सब ढोंग हैं.
इस्कोन के संस्थापक प्रभुपाद जी एवं अमरीका में धर्म गुरु दीपक चोपरा के अनुसार ” कृष्ण को सही प्रकार से जानने के बाद ही हम वलीनतीन डे (प्रेमिओं का दिन) के सही अर्थ को जान सकते हैं.
इस्लाम को मानने वाले जो बहुपत्नीवाद में विश्वास करते हैं सदा कृष्ण जी महाराज पर १६००० रानी रखने का आरोप लगा कर उनका माखोल करते हैं.
स्वामी दयानंद अपने अमर ग्रन्थ सत्यार्थ प्रकाश में श्री कृष्ण जी महाराज के बारे में लिखते हैं की पूरे महाभारत में श्री कृष्ण के चरित्र में कोई दोष नहीं मिलता एवं उन्हें आपत पुरुष कहाँ हैं.स्वामी दयानंद श्री कृष्ण जी को महान विद्वान सदाचारी, कुशल राजनीतीज्ञ एवं सर्वथा निष्कलंक मानते हैं फिर श्री कृष्ण जी के विषय में चोर, गोपिओं का जार (रमण करने वाला), कुब्जा से सम्भोग करने वाला, रणछोड़ आदि प्रसिद्द करना उनका अपमान नहीं तो क्या हैं.श्री कृष्ण जी के चरित्र के विषय में ऐसे मिथ्या आरोप का अधर क्या हैं? इन गंदे आरोपों का आधार हैं पुराण. आइये हम सप्रमाण अपने पक्ष को सिद्ध करते हैं.
पुराण में गोपियों से कृष्ण का रमण करना
विष्णु पुराण अंश ५ अध्याय १३ श्लोक ५९,६० में लिखा हैं
वे गोपियाँ अपने पति, पिता और भाइयों के रोकने पर भी नहीं रूकती थी रोज रात्रि को वे रति “विषय भोग” की इच्छा रखने वाली कृष्ण के साथ रमण “भोग” किया करती थी. कृष्ण भी अपनी किशोर अवस्था का मान करते हुए रात्रि के समय उनके साथ रमण किया करते थे.
कृष्ण उनके साथ किस प्रकार रमण करते थे पुराणों के रचियता ने श्री कृष्ण को कलंकित करने में कोई कसर नहीं छोड़ी हैं. भागवत पुराण स्कन्द १० अध्याय ३३ शलोक १७ में लिखा हैं -
कृष्ण कभी उनका शरीर अपने हाथों से स्पर्श करते थे, कभी प्रेम भरी तिरछी चितवन से उनकी और देखते थे, कभी मस्त हो उनसे खुलकर हास विलास ‘मजाक’ करते थे.जिस प्रकार बालक तन्मय होकर अपनी परछाई से खेलता हैं वैसे ही मस्त होकर कृष्ण ने उन ब्रज सुंदरियों के साथ रमण, काम क्रीरा ‘विषय भोग’ किया.
भागवत पुराण स्कन्द १० अध्याय २९ शलोक ४५,४६ में लिखा हैं -
कृष्णा ने जमुना के कपूर के सामान चमकीले बालू के तट पर गोपिओं के साथ प्रवेश किया. वह स्थान जलतरंगों से शीतल व कुमुदिनी की सुगंध से सुवासित था. वहां कृष्ण ने गोपियों के साथ रमण बाहें फैलाना, आलिंगन करना, गोपियों के हाथ दबाना , उनकी छोटी पकरना, जांघो पर हाथ फेरना, लहंगे का नारा खींचना, स्तन (पकरना) मजाक करना नाखूनों से उनके अंगों को नोच नोच कर जख्मी करना, विनोदपूर्ण चितवन से देखना और मुस्कराना तथा इन क्रियाओं के द्वारा नवयोवना गोपिओं को खूब जागृत करके उनके साथ कृष्णा ने रात में रमण (विषय भोग) किया.
ऐसे अभद्र विचार कृष्णा जी महाराज को कलंकित करने के लिए भागवत के रचियता नें स्कन्द १० के अध्याय २९,३३ में वर्णित किये हैं जिसका सामाजिक मर्यादा का पालन करते हुए मैं वर्णन नहीं कर रहा हूँ.
राधा और कृष्ण का पुराणों में वर्णन
राधा का नाम कृष्ण के साथ में लिया जाता हैं. महाभारत में राधा का वर्णन तक नहीं मिलता. राधा का वर्णन ब्रह्मवैवर्त पुराण में अत्यंत अशोभनिय वृतांत का वर्णन करते हुए मिलता हैं.
ब्रह्मवैवर्त पुराण कृष्ण जन्म खंड अध्याय ३ शलोक ५९,६०,६१,६२ में लिखा हैं की गोलोक में कृष्ण की पत्नी राधा ने कृष्ण को पराई औरत के साथ पकर लिया तो शाप देकर कहाँ – हे कृष्ण ब्रज के प्यारे , तू मेरे सामने से चला जा तू मुझे क्यों दुःख देता हैं – हे चंचल , हे अति लम्पट कामचोर मैंने तुझे जान लिया हैं. तू मेरे घर से चला जा. तू मनुष्यों की भांति मैथुन करने में लम्पट हैं, तुझे मनुष्यों की योनी मिले, तू गौलोक से भारत में चला जा. हे सुशीले, हे शाशिकले, हे पद्मावती, हे माधवों! यह कृष्ण धूर्त हैं इसे निकल कर बहार करो, इसका यहाँ कोई काम नहीं.
ब्रह्मवैवर्त पुराण कृष्ण जन्म खंड अध्याय १५ में राधा का कृष्ण से रमण का अत्यंत अश्लील वर्णन लिखा हैं जिसका सामाजिक मर्यादा का पालन करते हुए में यहाँ विस्तार से वर्णन नहीं कर रहा हूँ.
ब्रह्मवैवर्त पुराण कृष्ण जन्म खंड अध्याय ७२ में कुब्जा का कृष्ण के साथ सम्भोग भी अत्यंत अश्लील रूप में वर्णित हैं .
राधा का कृष्ण के साथ सम्बन्ध भी भ्रामक हैं. राधा कृष्ण के बामांग से पैदा होने के कारण कृष्ण की पुत्री थी अथवा रायण से विवाह होने से कृष्ण की पुत्रवधु थी चूँकि गोलोक में रायण कृष्ण के अंश से पैदा हुआ था इसलिए कृष्ण का पुत्र हुआ जबकि पृथ्वी पर रायण कृष्ण की माता यसोधा का भाई था इसलिए कृष्ण का मामा हुआ जिससे राधा कृष्ण की मामी हुई.
कृष्ण की गोपिओं कौन थी?
पदम् पुराण उत्तर खंड अध्याय २४५ कलकत्ता से प्रकाशित में लिखा हैं की रामचंद्र जी दंडक -अरण्य वन में जब पहुचें तो उनके सुंदर स्वरुप को देखकर वहां के निवासी सारे ऋषि मुनि उनसे भोग करने की इच्छा करने लगे. उन सारे ऋषिओं ने द्वापर के अंत में गोपियों के रूप में जन्म लिया और रामचंद्र जी कृष्ण बने तब उन गोपियों के साथ कृष्ण ने भोग किया. इससे उन गोपियों की मोक्ष हो गई. वर्ना अन्य प्रकार से उनकी संसार
रुपी भवसागर से मुक्ति कभी न होती.
क्या गोपियों की उत्पत्ति का दृष्टान्त बुद्धि से स्वीकार किया जा सकता हैं?
श्री कृष्ण जी महाराज का वास्तविक रूप
अभी तक हम पुराणों में वर्णित गोपियों के दुलारे, राधा के पति, रासलीला रचाने वाले कृष्ण के विषय में पढ़ रहे थे जो निश्चित रूप से असत्य हैं.
अब हम योगिराज, निति निपुण , महान कूटनीतिज्ञ श्री कृष्ण जी महाराज के विषय में उनके सत्य रूप को जानेगे.
आनंदमठ एवं वन्दे मातरम के रचियता बंकिम चन्द्र चटर्जी जिन्होंने ३६ वर्ष तक महाभारत पर अनुसन्धान कर श्री कृष्ण जी महाराज पर उत्तम ग्रन्थ लिखा ने कहाँ हैं की महाभारत के अनुसार श्री कृष्ण जी की केवल एक ही पत्नी थी जो की रुक्मणी थी, उनकी २ या ३ या १६००० पत्नियाँ होने का सवाल ही पैदा नहीं होता. रुक्मणी से विवाह के पश्चात श्री कृष्ण रुक्मणी के साथ बदरिक आश्रम चले गए और १२ वर्ष तक तप एवं ब्रहमचर्य का पालन करने के पश्चात उनका एक पुत्र हुआ जिसका नाम प्रदुमन था. यह श्री कृष्ण के चरित्र के साथ अन्याय हैं की उनका नाम १६००० गोपियों के साथ जोड़ा जाता हैं. महाभारत के श्री कृष्ण जैसा अलोकिक पुरुष , जिसे कोई पाप नहीं किया और जिस जैसा इस पूरी पृथ्वी पर कभी-कभी जन्म लेता हैं. स्वामी दयानद जी सत्यार्थ प्रकाश में वहीँ कथन लिखते हैं जैसा बंकिम चन्द्र चटर्जी ने कहाँ हैं. पांड्वो द्वारा जब राजसूय यज्ञ किया गया तो श्री कृष्ण जी महाराज को यज्ञ का सर्वप्रथम अर्घ प्रदान करने के लिए सबसे ज्यादा उपर्युक्त समझा गया जबकि वहां पर अनेक ऋषि मुनि , साधू महात्मा आदि उपस्थित थे.वहीँ श्री कृष्ण जी महाराज की श्रेष्ठता समझे की उन्होंने सभी आगंतुक अतिथियो के धुल भरे पैर धोने का कार्य भार लिया. श्री कृष्ण जी महाराज को सबसे बड़ा कूटनितिज्ञ भी इसीलिए कहा जाता हैं क्यूंकि उन्होंने बिना हथियार उठाये न केवल दुष्ट कौरव सेना का नाश कर दिया बल्कि धर्म की राह पर चल रहे पांडवो को विजय भी दिलवाई.
ऐसे महान व्यक्तित्व पर चोर, लम्पट, रणछोर, व्यभिचारी, चरित्रहीन , कुब्जा से समागम करने वाला आदि कहना अन्याय नहीं तो और क्या हैं और इस सभी मिथ्या बातों का श्रेय पुराणों को जाता हैं.
इसलिए महान कृष्ण जी महाराज पर कोई व्यर्थ का आक्षेप न लगाये एवं साधारण जनों को श्री कृष्ण जी महाराज के असली व्यक्तित्व को प्रस्तुत करने के लिए पुराणों का बहिष्कार आवश्यक हैं और वेदों का प्रचार आती आवश्यक हैं.
और फिर भी अगर कोई न माने तो उन पर यह लोकोक्ति लागु होती हैं-
जब उल्लू को दिन में न दिखे तो उसमें सूर्य का क्या दोष हैं?
प्रोफैसर उत्तम चन्द शरर जन्माष्टमि पर सुनाया करते थे
: तुम और हम हम कहते हैं आदर्श था इन्सान था मोहन |
…तुम कहते हो अवतार था, भगवान था मोहन ||
हम कहते हैं कि कृष्ण था पैगम्बरो हादी |
तुम कहते हो कपड़ों के चुराने का था आदि ||
हम कहते हैं जां योग पे शैदाई थी उसकी |
तुम कहते हो कुब्जा से शनासाई थी उसकी ||
हम कहते है सत्यधर्मी था गीता का रचैया |
तुम साफ सुनाते हो कि चोर था कन्हैया ||
हम रास रचाने में खुदायी ही न समझे |
तुम रास रचाने में बुराई ही न समझे ||
इन्साफ से कहना कि वह इन्सान है अच्छा |
या पाप में डूबा हुआ भगवान है अच्छा ||
साभार  विवेक आर्य
आपके पूर्वज जंगलों में बसे अशिक्षित नहीं थे, इस संसार को जागृत करने वाले महापुरुष थे | आपका इतिहास पराजय की गठड़ी नहीं है, वह विश्व-विजेताओं की गौरव-गाथा है | आपकी वैदिक ऋचाएं ग्वालों के गीत नहीं हैं, श्रीराम और श्रीकृष्ण जैसी महान आत्माओं को साकार करने वाले त्रिकालाबाधित सत्य हैं |"  
महर्षि दयानंद सरस्वती

पुराणों के कृष्ण बनाम महाभारत के कृष्ण



कृष्ण जन्माष्टमी पर सभी हिन्दू धर्म को मानने वाले भगवान श्री कृष्ण जी महाराज को याद करते हैं. कुछ उन्हें गीता का ज्ञान देने के लिए याद करते हैं कुछ उन्हें दुष्ट कौरवों का नाश करने के लिए याद करते हैं.पर कुछ लोग उन्हें अलग तरीके से याद करते हैं.
फिल्म रेडी में सलमान खान पर फिल्माया गया गाना “कुड़ियों का नशा प्यारे,नशा सबसे नशीला है,जिसे देखों यहाँ वो,हुसन की बारिश में गीला है,इश्क के नाम पे करते सभी अब रासलीला है,मैं करूँ तो साला,Character ढीला है,मैं करूँ तो साला,Character ढीला है.”
सन २००५ में उत्तर प्रदेश में पुलिस अफसर डी के पांडा राधा के रूप में सिंगार करके दफ्तर में आने लगे और कहने लगे की मुझे कृष्ण से प्यार हो गया हैं और में अब उनकी राधा हूँ. अमरीका से उनकी एक भगत लड़की आकर साथ रहने लग गयी.उनकी पत्नी वीणा पांडा का कथन था की यह सब ढोंग हैं.
इस्कोन के संस्थापक प्रभुपाद जी एवं अमरीका में धर्म गुरु दीपक चोपरा के अनुसार ” कृष्ण को सही प्रकार से जानने के बाद ही हम वलीनतीन डे (प्रेमिओं का दिन) के सही अर्थ को जान सकते हैं.
इस्लाम को मानने वाले जो बहुपत्नीवाद में विश्वास करते हैं सदा कृष्ण जी महाराज पर १६००० रानी रखने का आरोप लगा कर उनका माखोल करते हैं.
स्वामी दयानंद अपने अमर ग्रन्थ सत्यार्थ प्रकाश में श्री कृष्ण जी महाराज के बारे में लिखते हैं की पूरे महाभारत में श्री कृष्ण के चरित्र में कोई दोष नहीं मिलता एवं उन्हें आपत पुरुष कहाँ हैं.स्वामी दयानंद श्री कृष्ण जी को महान विद्वान सदाचारी, कुशल राजनीतीज्ञ एवं सर्वथा निष्कलंक मानते हैं फिर श्री कृष्ण जी के विषय में चोर, गोपिओं का जार (रमण करने वाला), कुब्जा से सम्भोग करने वाला, रणछोड़ आदि प्रसिद्द करना उनका अपमान नहीं तो क्या हैं.श्री कृष्ण जी के चरित्र के विषय में ऐसे मिथ्या आरोप का अधर क्या हैं? इन गंदे आरोपों का आधार हैं पुराण. आइये हम सप्रमाण अपने पक्ष को सिद्ध करते हैं.
पुराण में गोपियों से कृष्ण का रमण करना
विष्णु पुराण अंश ५ अध्याय १३ श्लोक ५९,६० में लिखा हैं
वे गोपियाँ अपने पति, पिता और भाइयों के रोकने पर भी नहीं रूकती थी रोज रात्रि को वे रति “विषय भोग” की इच्छा रखने वाली कृष्ण के साथ रमण “भोग” किया करती थी. कृष्ण भी अपनी किशोर अवस्था का मान करते हुए रात्रि के समय उनके साथ रमण किया करते थे.
कृष्ण उनके साथ किस प्रकार रमण करते थे पुराणों के रचियता ने श्री कृष्ण को कलंकित करने में कोई कसर नहीं छोड़ी हैं. भागवत पुराण स्कन्द १० अध्याय ३३ शलोक १७ में लिखा हैं -
कृष्ण कभी उनका शरीर अपने हाथों से स्पर्श करते थे, कभी प्रेम भरी तिरछी चितवन से उनकी और देखते थे, कभी मस्त हो उनसे खुलकर हास विलास ‘मजाक’ करते थे.जिस प्रकार बालक तन्मय होकर अपनी परछाई से खेलता हैं वैसे ही मस्त होकर कृष्ण ने उन ब्रज सुंदरियों के साथ रमण, काम क्रीरा ‘विषय भोग’ किया.
भागवत पुराण स्कन्द १० अध्याय २९ शलोक ४५,४६ में लिखा हैं -
कृष्णा ने जमुना के कपूर के सामान चमकीले बालू के तट पर गोपिओं के साथ प्रवेश किया. वह स्थान जलतरंगों से शीतल व कुमुदिनी की सुगंध से सुवासित था. वहां कृष्ण ने गोपियों के साथ रमण बाहें फैलाना, आलिंगन करना, गोपियों के हाथ दबाना , उनकी छोटी पकरना, जांघो पर हाथ फेरना, लहंगे का नारा खींचना, स्तन (पकरना) मजाक करना नाखूनों से उनके अंगों को नोच नोच कर जख्मी करना, विनोदपूर्ण चितवन से देखना और मुस्कराना तथा इन क्रियाओं के द्वारा नवयोवना गोपिओं को खूब जागृत करके उनके साथ कृष्णा ने रात में रमण (विषय भोग) किया.
ऐसे अभद्र विचार कृष्णा जी महाराज को कलंकित करने के लिए भागवत के रचियता नें स्कन्द १० के अध्याय २९,३३ में वर्णित किये हैं जिसका सामाजिक मर्यादा का पालन करते हुए मैं वर्णन नहीं कर रहा हूँ.
राधा और कृष्ण का पुराणों में वर्णन
राधा का नाम कृष्ण के साथ में लिया जाता हैं. महाभारत में राधा का वर्णन तक नहीं मिलता. राधा का वर्णन ब्रह्मवैवर्त पुराण में अत्यंत अशोभनिय वृतांत का वर्णन करते हुए मिलता हैं.
ब्रह्मवैवर्त पुराण कृष्ण जन्म खंड अध्याय ३ शलोक ५९,६०,६१,६२ में लिखा हैं की गोलोक में कृष्ण की पत्नी राधा ने कृष्ण को पराई औरत के साथ पकर लिया तो शाप देकर कहाँ – हे कृष्ण ब्रज के प्यारे , तू मेरे सामने से चला जा तू मुझे क्यों दुःख देता हैं – हे चंचल , हे अति लम्पट कामचोर मैंने तुझे जान लिया हैं. तू मेरे घर से चला जा. तू मनुष्यों की भांति मैथुन करने में लम्पट हैं, तुझे मनुष्यों की योनी मिले, तू गौलोक से भारत में चला जा. हे सुशीले, हे शाशिकले, हे पद्मावती, हे माधवों! यह कृष्ण धूर्त हैं इसे निकल कर बहार करो, इसका यहाँ कोई काम नहीं.
ब्रह्मवैवर्त पुराण कृष्ण जन्म खंड अध्याय १५ में राधा का कृष्ण से रमण का अत्यंत अश्लील वर्णन लिखा हैं जिसका सामाजिक मर्यादा का पालन करते हुए में यहाँ विस्तार से वर्णन नहीं कर रहा हूँ.
ब्रह्मवैवर्त पुराण कृष्ण जन्म खंड अध्याय ७२ में कुब्जा का कृष्ण के साथ सम्भोग भी अत्यंत अश्लील रूप में वर्णित हैं .
राधा का कृष्ण के साथ सम्बन्ध भी भ्रामक हैं. राधा कृष्ण के बामांग से पैदा होने के कारण कृष्ण की पुत्री थी अथवा रायण से विवाह होने से कृष्ण की पुत्रवधु थी चूँकि गोलोक में रायण कृष्ण के अंश से पैदा हुआ था इसलिए कृष्ण का पुत्र हुआ जबकि पृथ्वी पर रायण कृष्ण की माता यसोधा का भाई था इसलिए कृष्ण का मामा हुआ जिससे राधा कृष्ण की मामी हुई.
कृष्ण की गोपिओं कौन थी?
पदम् पुराण उत्तर खंड अध्याय २४५ कलकत्ता से प्रकाशित में लिखा हैं की रामचंद्र जी दंडक -अरण्य वन में जब पहुचें तो उनके सुंदर स्वरुप को देखकर वहां के निवासी सारे ऋषि मुनि उनसे भोग करने की इच्छा करने लगे. उन सारे ऋषिओं ने द्वापर के अंत में गोपियों के रूप में जन्म लिया और रामचंद्र जी कृष्ण बने तब उन गोपियों के साथ कृष्ण ने भोग किया. इससे उन गोपियों की मोक्ष हो गई. वर्ना अन्य प्रकार से उनकी संसार
रुपी भवसागर से मुक्ति कभी न होती.
क्या गोपियों की उत्पत्ति का दृष्टान्त बुद्धि से स्वीकार किया जा सकता हैं?
श्री कृष्ण जी महाराज का वास्तविक रूप
अभी तक हम पुराणों में वर्णित गोपियों के दुलारे, राधा के पति, रासलीला रचाने वाले कृष्ण के विषय में पढ़ रहे थे जो निश्चित रूप से असत्य हैं.
अब हम योगिराज, निति निपुण , महान कूटनीतिज्ञ श्री कृष्ण जी महाराज के विषय में उनके सत्य रूप को जानेगे.
आनंदमठ एवं वन्दे मातरम के रचियता बंकिम चन्द्र चटर्जी जिन्होंने ३६ वर्ष तक महाभारत पर अनुसन्धान कर श्री कृष्ण जी महाराज पर उत्तम ग्रन्थ लिखा ने कहाँ हैं की महाभारत के अनुसार श्री कृष्ण जी की केवल एक ही पत्नी थी जो की रुक्मणी थी, उनकी २ या ३ या १६००० पत्नियाँ होने का सवाल ही पैदा नहीं होता. रुक्मणी से विवाह के पश्चात श्री कृष्ण रुक्मणी के साथ बदरिक आश्रम चले गए और १२ वर्ष तक तप एवं ब्रहमचर्य का पालन करने के पश्चात उनका एक पुत्र हुआ जिसका नाम प्रदुमन था. यह श्री कृष्ण के चरित्र के साथ अन्याय हैं की उनका नाम १६००० गोपियों के साथ जोड़ा जाता हैं. महाभारत के श्री कृष्ण जैसा अलोकिक पुरुष , जिसे कोई पाप नहीं किया और जिस जैसा इस पूरी पृथ्वी पर कभी-कभी जन्म लेता हैं. स्वामी दयानद जी सत्यार्थ प्रकाश में वहीँ कथन लिखते हैं जैसा बंकिम चन्द्र चटर्जी ने कहाँ हैं. पांड्वो द्वारा जब राजसूय यज्ञ किया गया तो श्री कृष्ण जी महाराज को यज्ञ का सर्वप्रथम अर्घ प्रदान करने के लिए सबसे ज्यादा उपर्युक्त समझा गया जबकि वहां पर अनेक ऋषि मुनि , साधू महात्मा आदि उपस्थित थे.वहीँ श्री कृष्ण जी महाराज की श्रेष्ठता समझे की उन्होंने सभी आगंतुक अतिथियो के धुल भरे पैर धोने का कार्य भार लिया. श्री कृष्ण जी महाराज को सबसे बड़ा कूटनितिज्ञ भी इसीलिए कहा जाता हैं क्यूंकि उन्होंने बिना हथियार उठाये न केवल दुष्ट कौरव सेना का नाश कर दिया बल्कि धर्म की राह पर चल रहे पांडवो को विजय भी दिलवाई.
ऐसे महान व्यक्तित्व पर चोर, लम्पट, रणछोर, व्यभिचारी, चरित्रहीन , कुब्जा से समागम करने वाला आदि कहना अन्याय नहीं तो और क्या हैं और इस सभी मिथ्या बातों का श्रेय पुराणों को जाता हैं.
इसलिए महान कृष्ण जी महाराज पर कोई व्यर्थ का आक्षेप न लगाये एवं साधारण जनों को श्री कृष्ण जी महाराज के असली व्यक्तित्व को प्रस्तुत करने के लिए पुराणों का बहिष्कार आवश्यक हैं और वेदों का प्रचार आती आवश्यक हैं.
और फिर भी अगर कोई न माने तो उन पर यह लोकोक्ति लागु होती हैं-
जब उल्लू को दिन में न दिखे तो उसमें सूर्य का क्या दोष हैं?
प्रोफैसर उत्तम चन्द शरर जन्माष्टमि पर सुनाया करते थे
: तुम और हम हम कहते हैं आदर्श था इन्सान था मोहन |
…तुम कहते हो अवतार था, भगवान था मोहन ||
हम कहते हैं कि कृष्ण था पैगम्बरो हादी |
तुम कहते हो कपड़ों के चुराने का था आदि ||
हम कहते हैं जां योग पे शैदाई थी उसकी |
तुम कहते हो कुब्जा से शनासाई थी उसकी ||
हम कहते है सत्यधर्मी था गीता का रचैया |
तुम साफ सुनाते हो कि चोर था कन्हैया ||
हम रास रचाने में खुदायी ही न समझे |
तुम रास रचाने में बुराई ही न समझे ||
इन्साफ से कहना कि वह इन्सान है अच्छा |
या पाप में डूबा हुआ भगवान है अच्छा ||
साभार  विवेक आर्य