शुक्रवार, 16 सितंबर 2011

शराबी को हर जगह शराबी मिल जाते है


सावन के अंधे को हरा ही हरा नज़र आता है और कुछ नज़र ही नहीं आता है .
सावन मैं सब कुछ हरा ही हरा रहता है मौसम बहुत सुंदर रहता है 
सब लोग उस मौसम को पसंद करते है मगर कुछ लोग उस मैं कुछ न कुछ 
किन्तु परन्तु बता देते है किया किसी एक नजीर से पुरे के पुरे समाज की परिभासा नहीं लिखी जा सकती है.

शराबी को हर जगह शराबी मिल जाते है 
तसडी  को हर जगह तसडे मिल जाते है  उसी तरह बुरे करने वालो को हर किसी बात मैं 

हर किसी परंपरा  मैं कुछ न कुछ बुराई नज़र आ ही जाती है .....क्योकि उनका चस्मा उसी को देखता है .........

जय बाबा बनारस .....

1 टिप्पणी:

  1. बोतल में पानी लिए, भटकें चारों ओर |
    गला सूखता प्यास से, ढूंढें दारु-खोर ||

    जवाब देंहटाएं