सोमवार, 29 अगस्त 2011

• अन्ना की जीत


प्रारभ्यते न खलु विघ्नभयेन निचै
प्रारभ्य विघ्न विह विरमन्ति मध्यमा
विघ्नै पुनः पुनरपि प्रतिहन्य मानः
प्रारभ्य चोत्तमजना न परित्यजन्ति
सामान्य जन्य विघ्नों के आने के डर से कार्य प्रारंभ ही नहीं करते मध्यम प्रकृति के लोग कार्य तो प्रारंभ करते हैं किन्तु विघ्नों के आने पर उसे छोड़ देते हैं लेकिन उत्तम प्रकृति के  लोग कार्य  प्रारंभ करने के बाद बार बार  विघ्नों के आने के बाद भी उसे नहीं छोड़तें अपितु उसे पूरा कर के ही दम लेते हैं


बाबा रामदेव द्वारा जिस तरह भ्रस्टाचार एवं काला धन  के विरुद्ध सार्थक रूप से देश व्यापी हड़ताल जन जाग्रति पैदा की गयी वो स्वागत के योग्य थी . ये बात अलग है की कुछ गलतिओं की वजह से यह आन्दोलन सरकार द्वारा निर्ममता पूर्वक कुचल दिया गया . किन्तु मात्र इसी वजह से राम देव जी के महत्व को कम कर के आंका नहीं जाना चाहिए. मै तो बाबा रामदेव जी में महर्षि दयानंद जी का ही स्वरुप देखा  करता था . वही ओज पूर्ण वाणीवही क्रांतिकारी विचार,वही सत्य के प्रति आग्रह ,
जहां महात्मा गाँधी ने अंग्रेजों से देश को आजाद करने के लिए अनशन  सत्याग्रह का सहारा लिया. वहीँ महर्षि दयानंद ने  इसी उद्देश्य की पूर्ति के लिए क्रांतिकारीओं की फ़ौज बनाई तथा सरदार भगत सिंह, चन्द्र शेखर आजाद, राम प्रसाद बिश्मिलअशफाकुल्ला खान, सुख देव, राजगुरु तथा लाला लाजपत राय जैसे क्रांति वीरो ने इनसे आजादी हेतु  प्रेणना ली .
देश में आज भी देश के प्रति समर्पित निष्ठावान इमानदार एवं चरित्रवान लोगों की कमी नहीं है. आवश्यकता है उन्हें तलाशने की, उन्हें एक कुशल शिल्पकार की तरह तराशने की तथा एक सही दिशा देने की . अगर वास्तव में ऐसा हो जाय तो देश का कायाकल्प अवश्य होगा.
हरवंश राय बच्चन ने क्या खूब कहा है __

असफलता एक चुनौती है स्वीकार करो  
क्या कमी रह गयी देखो और सुधार करो  
जब तक न सफल हो नींद चैन को त्यागो तुम    
संघर्ष करो मैदान छोड़ न भागो तुम  
 कुछ किये बिना ही जय जयकार नहीं होती    
हिम्मत करने वालों की हार नहीं होती

जहाँ तक सिखने का सम्बन्ध है व्यक्ति सफलता से नहीं अपितु असफलता से सीखता है.  ह़र असफलता के बाद पुनर्मूल्यांकन का अवसर मिलता है. समस्या आये बिना हम अपना रास्ता नहीं खोजते. समस्याएं ही हमें उपाय खोजने  को प्रेरित करती हैं. यदि हम बिना बाधाओं की दूर किये बिना क्षमता और योग्यता का विकास किये थोडा आगे बढ़ जाते हैं तो उसे सफलता तो हरगिज नहीं कहा जा सकता
आखिरकार बारह दिनों के लंबे संघर्ष के बाद देश की संसद में जनसंसदकी जय हुई. भ्रष्टाचार के खिलाफ संघर्ष में अन्ना हजारे और जनता को शनिवार को ऐतिहासिक जीत मिली. लोकपाल विधेयक में गांधीवादी समाजसेवी की उन तीन शर्तों पर संसद ने सैद्धांतिक तौर पर सहमति दे दी जिनकी वजह से सरकार और सिविल सोसायटी के बीच गतिरोध बना हुआ था. संसदीय मंजूरी हासिल कर चुके अन्ना के सुझावों पर आधारित प्रस्ताव को स्थायी समिति के सुपुर्द कर दिया जाएगा ताकि विधेयक में शुमार किए जाने को लेकर आगे की कार्यवाही की जा सके.    
सरकार ने प्रस्ताव पर वोटिंग न कराकर टीम अन्ना के साथ एक बार फिर छल किया.
संभवतः कांग्रेस और उसकी सहयोगी पार्टियां नहीं चाहती थीं कि वोटिंग के द्वारा उसे अपना स्टैंड स्पष्ट करना पड़े. वे इस मामले पर भ्रम बनाए रखना चाहती हैं ताकि बाद में अपना रुख बदल सकें फिलहाल तीन मुद्दों पर संसदीय रजामंदी दिखी है- 
1. निचली ब्यूरोक्रेसी को लोकपाल के दायरे में लाना .
2. सिटिजंस चार्टर के तहत सरकारी कर्मचारियों के लिए वक्त पर काम करने की शर्त बांधना और 
3. राज्यों के लिए लोकायुक्त का भी इसी बिल में इंतजाम करना.

 
जो भी हो, अब यह देखना चाहिए:  बिल ३ माह के अंदर पास हो, कम से कम जन लोकपाल के सभी बिंदु के आधार पर, याने उससे कम तथा उसे काटने वाली कोई बात न आने पाए; यह सबक लोगो को मिल गया है की जागृत रहना है तभी देश सुचारू स्वरूप चल सकता है. जनता को सावधानी के साथ जन लोकपाल बिल के पारित होने तक अन्ना और उनकी टीम के साथ डटे रहना चाहिए. काम अभी अधूरा है इस बार इसे करना हम सबको पूरा है. सत्य परेशान तो हो सकता है, लेकिन पराजित नहीं ! आख़िर जीत सच की ही होती है हम सब के लिए बड़ी ख़ुशी कि बात है कि आज अन्ना जी और टीम की मेहनत रंग लायी. 
इस देश की जनता ने सरकार को बता दिया क़ि जनता क़ि आवाज़ को कोई नही दबा सकता है चाहे वो सरकार ही क्यों ना हो. लोकतंत्र क़ि विजय हुई है. आख़िरकार सरकार और सांसदों को अन्ना जी क़ि आवाज़ के सामने झुकना ही पड़ा. आइए हम देश से भ्रष्टाचार समाप्त करने का संकल्प करें हम अन्ना जी का ये अनसन कभी नही भूल पाएँगे . आज उनके प्रयास और विश्वास के कारण पूरे देश को एक नयी सोच और दिशा मिली है . उन्होने जनलोकपाल बिल पास करा के देश से भ्रस्टचार कम करने की जो पहल की है वह अतुल्य है. पूरे संसार मे अन्ना जी जैसे विभूति का मिल पाना मुश्किल है
मै अन्ना जी क़ो पूरे सम्मान से सलाम क़रता हु अन्ना जी ने दिखा दिया क़ी सारे भारतवासी एक़जुट है चाहे वो भृष्टाचार क़ा मामला हो या देश क़ी सुरक्षा क़ा अन्ना जी आपक़ो तहे दिल से सलाम. इन महान इंसान के पावन चरनो मे मेरा सत् - सत् नमन्




• अन्ना की जीत


प्रारभ्यते न खलु विघ्नभयेन निचै
प्रारभ्य विघ्न विह विरमन्ति मध्यमा
विघ्नै पुनः पुनरपि प्रतिहन्य मानः
प्रारभ्य चोत्तमजना न परित्यजन्ति
सामान्य जन्य विघ्नों के आने के डर से कार्य प्रारंभ ही नहीं करते मध्यम प्रकृति के लोग कार्य तो प्रारंभ करते हैं किन्तु विघ्नों के आने पर उसे छोड़ देते हैं लेकिन उत्तम प्रकृति के  लोग कार्य  प्रारंभ करने के बाद बार बार  विघ्नों के आने के बाद भी उसे नहीं छोड़तें अपितु उसे पूरा कर के ही दम लेते हैं


बाबा रामदेव द्वारा जिस तरह भ्रस्टाचार एवं काला धन  के विरुद्ध सार्थक रूप से देश व्यापी हड़ताल जन जाग्रति पैदा की गयी वो स्वागत के योग्य थी . ये बात अलग है की कुछ गलतिओं की वजह से यह आन्दोलन सरकार द्वारा निर्ममता पूर्वक कुचल दिया गया . किन्तु मात्र इसी वजह से राम देव जी के महत्व को कम कर के आंका नहीं जाना चाहिए. मै तो बाबा रामदेव जी में महर्षि दयानंद जी का ही स्वरुप देखा  करता था . वही ओज पूर्ण वाणीवही क्रांतिकारी विचार,वही सत्य के प्रति आग्रह ,
जहां महात्मा गाँधी ने अंग्रेजों से देश को आजाद करने के लिए अनशन  सत्याग्रह का सहारा लिया. वहीँ महर्षि दयानंद ने  इसी उद्देश्य की पूर्ति के लिए क्रांतिकारीओं की फ़ौज बनाई तथा सरदार भगत सिंह, चन्द्र शेखर आजाद, राम प्रसाद बिश्मिलअशफाकुल्ला खान, सुख देव, राजगुरु तथा लाला लाजपत राय जैसे क्रांति वीरो ने इनसे आजादी हेतु  प्रेणना ली .
देश में आज भी देश के प्रति समर्पित निष्ठावान इमानदार एवं चरित्रवान लोगों की कमी नहीं है. आवश्यकता है उन्हें तलाशने की, उन्हें एक कुशल शिल्पकार की तरह तराशने की तथा एक सही दिशा देने की . अगर वास्तव में ऐसा हो जाय तो देश का कायाकल्प अवश्य होगा.
हरवंश राय बच्चन ने क्या खूब कहा है __

असफलता एक चुनौती है स्वीकार करो  
क्या कमी रह गयी देखो और सुधार करो  
जब तक न सफल हो नींद चैन को त्यागो तुम    
संघर्ष करो मैदान छोड़ न भागो तुम  
 कुछ किये बिना ही जय जयकार नहीं होती    
हिम्मत करने वालों की हार नहीं होती
जहाँ तक सिखने का सम्बन्ध है व्यक्ति सफलता से नहीं अपितु असफलता से सीखता है.  ह़र असफलता के बाद पुनर्मूल्यांकन का अवसर मिलता है. समस्या आये बिना हम अपना रास्ता नहीं खोजते. समस्याएं ही हमें उपाय खोजने  को प्रेरित करती हैं. यदि हम बिना बाधाओं की दूर किये बिना क्षमता और योग्यता का विकास किये थोडा आगे बढ़ जाते हैं तो उसे सफलता तो हरगिज नहीं कहा जा सकता
सरकार ने प्रस्ताव पर वोटिंग न कराकर टीम अन्ना के साथ एक बार फिर छल किया।
संभवतः कांग्रेस और उसकी सहयोगी पार्टियां नहीं चाहती थीं कि वोटिंग के द्वारा उसे अपना स्टैंड स्पष्ट करना पड़े। वे इस मामले पर भ्रम बनाए रखना चाहती हैं ताकि बाद में अपना रुख बदल सकें फिलहाल तीन मुद्दों पर संसदीय रजामंदी दिखी है- 
1. निचली ब्यूरोक्रेसी को लोकपाल के दायरे में लाना 
2. सिटिजंस चार्टर के तहत सरकारी कर्मचारियों के लिए वक्त पर काम करने की शर्त बांधना और 
3. राज्यों के लिए लोकायुक्त का भी इसी बिल में इंतजाम करना। 
जो भी हो, अब यह देखना चाहिए:  बिल ३ माह के अंदर पास हो, कम से कम जन लोकपाल के सभी बिंदु के आधार पर, याने उससे कम तथा उसे काटने वाली कोई बात न आने पाए; यह सबक लोगो को मिल गया है की जागृत रहना है तभी देश सुचारू स्वरूप चल सकता है. जनता को सावधानी के साथ जन लोकपाल बिल के पारित होने तक अन्ना और उनकी टीम के साथ डटे रहना चाहिए. काम अभी अधूरा है इस बार इसे करना हम सबको पूरा है. सत्य परेशान तो हो सकता है, लेकिन पराजित नहीं ! आख़िर जीत सच की ही होती है हम सब के लिए बड़ी ख़ुशी कि बात है कि आज अन्ना जी और टीम की मेहनत रंग लायी. 
इस देश की जनता ने सरकार को बता दिया क़ि जनता क़ि आवाज़ को कोई नही दबा सकता है चाहे वो सरकार ही क्यों ना हो. लोकतंत्र क़ि विजय हुई है. आख़िरकार सरकार और सांसदों को अन्ना जी क़ि आवाज़ के सामने झुकना ही पड़ा. आइए हम देश से भ्रष्टाचार समाप्त करने का संकल्प करें हम अन्ना जी का ये अनसन कभी नही भूल पाएँगे . आज उनके प्रयास और विश्वास के कारण पूरे देश को एक नयी सोच और दिशा मिली है . उन्होने जनलोकपाल बिल पास करा के देश से भ्रस्टचार कम करने की जो पहल की है वह अतुल्य है. पूरे संसार मे अन्ना जी जैसे विभूति का मिल पाना मुश्किल है
मै अन्ना जी क़ो पूरे सम्मान से सलाम क़रता हु अन्ना जी ने दिखा दिया क़ी सारे भारतवासी एक़जुट है चाहे वो भृष्टाचार क़ा मामला हो या देश क़ी सुरक्षा क़ा अन्ना जी आपक़ो तहे दिल से सलाम. इन महान इंसान के पावन चरनो मे मेरा सत् - सत् नमन्




रविवार, 28 अगस्त 2011

नदी की धारा मत मोड़ो हे ! ये सैलाब न ले डूबे


नदी की धारा मत मोड़ो हे !
ये सैलाब न ले डूबे
बहुत तेज धारा है इसकी
नहीं संभलने वाली
हैं गरीब भूखे किश्ती में
करो नहीं मनमानी !!
———————-
83286-anna-hazare
अरे भागीरथ के गुण गाओ
जिसने इसे उतारा
बड़ी पुन्य पावन ये धारा
सदियों से है तारा
श्वेत हंस सी -माँ-शारद सी
ईमाँ-धर्म ये न्यारा
————————-
धारा ! -जाति धर्म न बाँटो
सूप सुभाय ले छांटो
अच्छा गुण – जो काम में आये
जन हित का हो हर मन भाये
297750_109011752535774_100002808480456_48658_2157637_n
——————————-
तेरी कश्ती मेरी कश्ती
कल के युवा जवान की कश्ती
सेना और किसान की कश्ती
भारत के हर-जन की कश्ती
डूब न जाएँ -कुटिल चाल से तेरी
नहीं बजा रन-भेरी
———————————-
माना तू है बड़ा खिलाडी
और बड़ा तैराक !
इनमे कितने गांधी -शास्त्री
भगत सिंह-आजाद !!
——————————–
जिनकी एक जुबान हिलने से
क्रूर भंवर रुक जाए
कदम ताल गर चलें मिलाये
ये धरती थर्राए !!
—————————–
इससे पहले घेर तुझे लें
सौ -सौ छोटे नाविक
अरे जगा ले मृतक -ह्रदय को
हमराही हो -संग-मुसाफिर !!
———————————-
क्या जमीर हे मारा तुम्हारा
देश -भेष कुछ नहीं विचारा
उस दधीचि की हड्डी से हे !
थोडा नजर मिलाओ
वज्र से जो तुम ना टूटे तो
मोड़ो धारा -या बह जाओ !!
———————————
सभी मित्रो को बधाई और हार्दिक शुभ कामनाये ..अपना सब का साथ हमेशा यों ही बना रहे ......

शुक्ल भ्रमर ५
जल पी बी २६.८.२०११
११.५० मध्याह्न

शुक्रवार, 26 अगस्त 2011

‘‘बंद दरवाजे’’


आज मॉर्निग वॉक करते हुए राव साहब कुछ चिन्तित लग रहे थे। उनकी चिन्ता को देखकर शर्मा जी ने पूछा, ‘‘क्या बात है राव साहब आज बड़े परेशान दिखाई दे रहे हैं? सब कुशल मंगल तो है ना?’’
राव साहब ने कहा, ‘‘ क्या बतायें शर्मा जी बेटा विलायत से पढ़कर आया है और अब इतनी अच्छी सरकारी नौकरी भी है। धन-धान्य की कोई कमी नहीं है। न ही कोई लालच ही है। फिर भी एक योग्य बहु नहीं मिल रही है।’’
‘‘बस इतनी सी बात। रूकिये जरा।’’ पास ही व्यायाम करते चौधरी साहब को बुलाते हुए, ‘‘और चौधरी जी सब ठीक-ठाक?’’
‘‘हाँ जी सब बढ़िया। आप सुनाईये शर्मा जी।’’
‘‘चौधरी जी ये राव साहब हैं, हमारे परिचित और रिटायर्ड इंजीनियर। आपकी बेटियाँ क्या कर रही हैं आजकल?’’
‘‘बस पढ़ाई पूरी हो गई और सरकारी नौकरी भी लग गई।’’
‘‘तो क्या कोई लड़का-वड़का देखा बिटिया के लिए?’’
‘‘क्या बतायें शर्मा जी कोई योग्य लड़का मिलता ही नहीं।’’
‘‘हा-हा-हा। यह तो वही बात हो गई कि बगल में छोरा शहर में ढ़िंढ़ोरा। राव साहब का बेटा विलायत से पढ़ाई करके आया है और अब पिता के ही नक्शो कदम पर सरकारी इंजीनियर है। आप लोग आपस में बात कर लीजिए मैं जरा आगे तक हो आऊँ।’’
15 मिनट बाद वापस लौटे शर्मा जी को राव साहब अकेले बैठे दिखाई दिये। ‘‘क्या हुआ राव साहब? कुछ बात जमी?’’
‘‘आप भी कमाल करते हैं शर्माजी। कहाँ फँसा कर चले गये थे हमें? निःसन्देह चौधरी साहब की बेटियाँ बहुत योग्य व सुशील हैं, पर है तो तीन बेटियाँ ही। मैं ऐसे घर में अपने बेटे की शादी कैसे कर दूँ जहाँ आगे कोई परिवार नहीं? इन बंद दरवाजों पर मैं ही क्यों सर पटकूँ।’’ यह कहकर नाराज राव जी आगे बढ़ गये।
आवाक् खड़े शर्मा जी पर जैसे घड़ों पानी पड़ गया हो। इस सोच के परे भला कैसे किसी को समझाया जा सकता है? आज भी स्वतंत्र होते मस्तिष्क की जड़ें दकियानूसित की बेड़ियों से जकड़ी हैं जिसमें योग्यता घुटनों के बल तरसाई आँखों से अपने लिए इंसाफ की फरियाद कर रही है।

गुरुवार, 25 अगस्त 2011

भ्रष्टाचारी भारत में -रह लो ?? नहीं -कहेंगे-भारत छोडो …


भ्रष्टाचारी भारत में -रह लो ??
नहीं -कहेंगे-भारत छोडो …
गोरे होते तो कह देते
“काले” हो तुम-भाई -मेरे
शर्म हमें -ये “नारा’ देते
0818-anna-hazare-india_full_600
———————-
ये आन्दोलन बहुत बड़ा है
खून –पसीना- सभी लगा है !
बहने -भाई -बाप तुम्हारा
बेटा देखो साथ खड़ा है !!
—————————
हम चाहें तो गरजें बरसें
आंधी तूफाँ कहर दिखाएँ
चपला सी गिर राख बनायें
इतने महल जो भूखे रख के
तुमने बासठ साल बनाये
मिनट में सारे ढहा दिखाएँ
शांत सिन्धु लहराते आयें
और सुनामी हम बन जाएँ !!
—————————-
कदम -ताल में शक्ति हमारे
कांपें भू -वो जोश दिखाएँ
पांच पञ्च के हम सब प्यारे
न्याय अहिंसा के मतवारे
लाठी गोली की आदत तो
वीर शहीदों ने सिखलाये
—————————
भूखे अनशन पर हम बैठे
लूटे जो -कुछ उसे बचाएं ??
गाँधी -अन्ना भूखे बैठे
भ्रष्टाचारी किस-मिस खाएं
जो ईमान की बात भी कर दे
छलनी गोली से हो जाए
——————————–
हे रक्षक ना भक्षक बन जा
गेहूं के संग घुन पिस जाएँ
क्या चाहे तू यज्ञं कराएं
तक्षक -नाग-सांप जल जाएँ
————————————
हमसे भाई “भेद ” रखो ना
घर में रह के “सेंध” करो ना
जिस थाली में खाना खाते
काहे छेद उसी को डाले
—————————
कल बीबी बेलन ले दौड़े
बेटा -गला दबाने दौड़े
दर्पण देख के तुझको रोये
तू क्या चाहे ?? ऐसा होए ??
————————————–
शुक्ल भ्रमर ५
२५.०८.२०११ जल पी बी

सोमवार, 22 अगस्त 2011

श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर्व की आप सभी को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं || जय श्री कृष्ण

श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर्व की आप सभी को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं || जय श्री कृष्ण



जय बाबा बनारस ......

बच्चे बूढ़े भी नाचें बजा ताली श्याम जू पैदा भये


आप सभी को श्री कृष्ण जन्माष्टमी पर ढेर सारी हार्दिक शुभ कामनाएं आइये आवाहन करें की कृष्ण हम सब में आयें और अनाचार मिटायें हमारे सभी आन्दोलन सफल हों और दुराचारी भ्रष्टाचारी मुह की खाएं-इस कलयुग में द्वापर की बातें याद आ जाती हैं -आज तो कितनी द्रौपदी बेचारी कोई कान्हा नहीं पाती हैं ..ग्वाल बाल सब .सखियों सहेलियों का पवित्र प्यार अब कहाँ …जो भी हो आज अपने अंगना में गोपाला को आइये लायें ….गोदी में खिलाएं ….स्वागत करें …काले काले बदरा ..भादों का महीना … -भ्रमर ५
———–भ्रमर गीत———
3-6933cf0547.jpg-krishna-1
श्याम जू पैदा भये
आज मथुरा में -हाँ आज गोकुला में
छाई खुशियाली
श्याम जू पैदा भये
आज मथुरा में -हाँ आज गोकुला में
छाई खुशियाली
श्याम जू पैदा भये !!
ढोल मजीरा तो हर दिन बाजे
आज घर घर बजे सब की थाली
श्याम जू पैदा भये
4-547e9811af.jpg-krishna-2
घुंघटा वाली नाचे चूड़ी कंगन बजाई के
बच्चे बूढ़े भी नाचें बजा ताली
श्याम जू पैदा भये
आज मथुरा में -हाँ आज गोकुला में
छाई खुशियाली
श्याम जू पैदा भये !!
बदरा बजाये पशु पक्षी भी नाचें
पेड़ पौधों में छाई हरियाली
श्याम जू पैदा भये
आज मथुरा में -हाँ आज गोकुला में
छाई खुशियाली
श्याम जू पैदा भये !!
कृष्ण पाख कुछ चाँद छिपावे
आज घर घर मने है दिवाली
श्याम जू पैदा भये
आज मथुरा में -हाँ आज गोकुला में
छाई खुशियाली
श्याम जू पैदा भये !!
भादों में नदी नाले सागर बने
कान्हा चरण छुए यमुना भयीं खाली
श्याम जू पैदा भये
आज मथुरा में -हाँ आज गोकुला में
छाई खुशियाली
श्याम जू पैदा भये !!
पूत जने माई बप्पा तो झूमें
आज देशवा ख़ुशी भागशाली
श्याम जू पैदा भये
आज मथुरा में -हाँ आज गोकुला में
छाई खुशियाली
श्याम जू पैदा भये !!
——————-
कृपया मेरी अन्य तरह की रचनाएँ मेरे अन्य ब्लॉग पर पढ़ें जो इस पृष्ठ पर दायीं तरफ रहती हैं ….
सुरेन्द्र कुमार शुक्ल भ्रमर ५
२२.०८.२०११
प्रतापगढ़ उ.प्र. ६.३० पूर्वाह्न

रविवार, 21 अगस्त 2011

कलयुग है या भ्रष्टतंत्र है तानाशाही-अत्याचार???



कलयुग है या भ्रष्टतंत्र है
तानाशाही-अत्याचार???
चार जमा कर स्विस में बैठे
भूखे मरें हजार .................


-----------------------------------
चक्की में जो पिसे लोग हैं
अब चक्की पर चढ़ बैठे !
लिए हथौड़ा  छेनी संग में
कितनी मूर्ति ---गढ़ बैठे !!



-------------------------
जला -"दिया" है -पूंछ सुलगती
कभी धमाका हो सकता !
अंधियारे में डींग हांकती
सोयी बैठी है सरकार !!
--------------------------
इतने दिन में ना लिख पाओ
"रामायण" कोई बात नहीं
राम से मिल के चरण पकड़ के
राम कथा के नीति नियम -
"कुछ "- लगे लगा लो बात बने !!
------------------------------------
रावण सा तुम अहं भरो ना
समय चक्र चलता है -"काल"
मन में मैल भरी जो धो लो
आँखों से पट्टी तो खोलो
गांधारी- धृत राष्ट्र- बनो ना
कौरव -तेरे ना टिक पायें
"पांच" पांडव- हैं दमदार !!
-----------------------------
पत्थर ढोती वानर सेना
पुल भी कभी बना सकती
ले मशाल जो बढ़ निकली है
लंका- आग लगा सकती !!
----------------------------
पास विभीषण हैं तेरे भी
कुछ मंदोदरी भी हैं बैठी
उनकी भी कुछ बात सुनो हे !
दंभ भरो ना हे पाखंडी !!
---------------------------------
(सभी फोटो गूगल /नेट/याहू से साभार )
शुक्ल भ्रमर ५
१०.२० मध्याह्न जल पी बी
२०.०८.२०११


दे ऐसा आशीष मुझे माँ आँखों का तारा बन जाऊं

शुक्रवार, 19 अगस्त 2011

तफरीह

प्रकृति के अनमोल नजारों का हसीन सफर




सैर कर दुनियां की गाफिल जिन्दगानी फिर कहां
गर जिन्दगानी भी रही तो ये जवानी फिर कहां!

आप अगर चाहते हैं कि प्रकृति के अनमोल नजारों, इतिहास व तिलिस्म के स्वर्णिम यादों के सफर का लुत्फ उठाना तो एक बार जरूर चकिया की जानिब रूख करिए। यहां आपकों मिलेगा चन्द्रकान्ता की अमर प्रेम कहानी की निशानियां राजदरी, देवदरी और विन्दम्फाल जैसे मनमोहक जल प्रपात। गहडवाल राजपूत राजवंश के स्वर्णिम इतिहास भी विंध्य पर्वत श्रृंखला की इन्ही पहाड़ियों में ध्वंसावशेष के रूप में बिखरे पड़े हैं। दरअसल विंध्यपर्वत श्रृंखला की गोद में बसा उत्तर प्रदेश का जनपद चन्दौली की चकिया तहसील अपने गोद में न जाने कितने रहस्य और तिलिस्म दफन किए है।



बात अगर जल प्रपातों व जलाषयों की हो तो चकिया के औरवाटांड ग्राम के पास कर्मनाशा नदी पर 58 मीटर उचां सुन्दर जल प्रपात है जिसे बड़ी दरी के नाम से जाना जाता है। इसी समीप नौगढ़ बांध का निर्माण सन् 1957-58 में हुआ है, जिसका क्षेत्रफल 19.6 वर्ग किलोमीटर में है। जिसका पानी एक-दूसरे बांधों से जुडे मूंसाखाड़ व लतीफशाह जलाशयों में जाता है। यहां का नजारा बेहद हसीन व सुहाना होता है। दूसरी नदी चन्द्रप्रभा है जिसका उद्गम स्थल पडोसी जनपद मिर्जापुर में है, यह नदी पहाड़ी मार्ग से लहराती व बलखाती हुई दो जल प्रपातों देवदरी व राजदरी के बीच से तकरीबन 400 फीट नीचे उतरती है। इन प्रपातों का दृष्य अत्यन्त आकर्षक एवं मनोहारी होने के कारण आमोद-प्रमोद की दृष्टि से महत्वपूर्ण है। जिसकी वजह से बारिश के मौसम में पर्यटकों का जमावडा देखने को मिलता है।

बुधवार, 17 अगस्त 2011

कडवे बोल लेकिन सत्य.......

!! अपना-अपना करो सुधार , तभी मिटेगा भ्रष्टाचार.. !!
सार्वजनिक जीवन में स्वीकृत मूल्यों के विरुद्ध आचरण को भ्रष्ट आचरण समझा जाता है... आखिर यह भ्रष्टाचार क्या है? इस आन्दोलन में डाक्टर,इंजिनियर ,वकील,पत्रकार,छुटपुट नेता, पढ़े लिखे बेरोजगार नवयुवक शामिल होकर प्रतिशोध केवल सरकार के विरुद्ध कर रहे हैं और ऐसा प्रतीत होता है जैसे केवल सरकार ही भ्रष्ट है और बाकी सारे ईमानदार.. सरकार और सरकारी तंत्र से जुड़े बहुत से व्यक्ति तो निश्चित रूप से भ्रष्ट पाए गए है परन्तु इस जन आन्दोलन में शामिल होने वाले कितने ऐसे हैं जिनमे भ्रष्टाचार समाहित नहीं ?. क्या रिटेल मेडिकल स्टोर वाले बिना फार्मेसिस्ट के दवा नहीं बेच रहे हैं ? क्या किराना स्टोर वाले नकली व मिलावटी सामान नहीं बेच रहे हैं ? क्या दूध और दूध से निर्मित खाद्य पदार्थ बेचने वाले मिलावट नहीं कर रहे है ? क्या प्राईवेट डाक्टर जनता को लूट नहीं रहे हैं ? क्या वकील अपने मुवक्किल को चूस नहीं रहे हैं ? क्या धर्म की आड़ में रंग बिरंगे कपड़े पहनकर कई बाबा जी अपना व्यवसाय नहीं चला रहे हैं? क्या प्राईवेट क्षेत्र में तकनीकी शिक्षा बेचने वाले छात्रों को धोखा नहीं दे रहे हैं ? क्या मीडिया के सभी लोग ईमानदार है? प्राईवेट स्तर पर ट्यूशन का काम करने वाले मास्टर क्या अपने छात्रों को धोखा नहीं दे रहे हैं? क्या पेट्रोल बेचने पम्प मालिक डीजल पेट्रोल में मिलावट नहीं कर रहे हैं ? कितने ऐसे हैं जिन्होंने अपने बच्चों की शादी में दहेज़ लिया दिया ना हो ? अंततः सारे देश में ऐसे अनेक भ्रष्ट आचरण में लिप्त लोग पाए जाते हैं. ..इन सबसे भ्रष्टाचार कौन मिटाएगा.. ? दूसरों की गणना दोषी के रूप में करना सरल है. बहुत सरल उपदेश सुनना किन्तु कठिन करके दिखलाना ...वास्तविक पुरुषार्थ है --अपना-अपना करो सुधार , तभी मिटेगा भ्रष्टाचार..


Dr.Sunil Kumar
Homoeopathic Physician
Acupressurist, Yogacharya & Reiki Master
Email:-drsunil75@gmail.com
Website:-www.drsunilkumar.webs.com

भ्रष्ट -चोर को चोर कहें ना ये कैसी आजादी ??


कैसा अपना लोकतंत्र है ??
कैसी लोकशाही ????
भ्रष्ट -चोर को चोर कहें ना
ये कैसी आजादी ??
आओ मिलकर शोर मचाएं
चीख -चीख हम रोयें
images
(फोटो साभार गूगल /नेट से लिया गया )
———————–
पेट पे लात मार जो बैठा
क्या राजा कहलाये ?
बड़ी-बड़ी कोठी वो बैठा
झुग्गी नजर गडाए !!
आओ मिलकर शोर मचाएं
चीख -चीख हम रोयें
——————————-
मरते भूखे-कृषक -युवा हैं
मरते कोख में बच्चे
भूख अभी भी मुख्य समस्या
कैसी नीति बनाये
सौ सौ गार्ड के बीच चले हैं
जन-सेवक कहलाये ?
आओ मिलकर शोर मचाएं
चीख -चीख हम रोयें
————————
महगाई भ्रष्टाचारी से
दे दो हमें निजात
या अनशन भूखे मरने दो
सुन लो हमरी बात
कैसा न्याय कहाँ हैं मंत्री
दूध पिला हमने जो भेजे
“डसते ” देश यही क्या संतरी
रक्त-बीज हैं दस दस फैले
आओ मिलकर शोर मचाएं
चीख -चीख हम रोयें
————————————
कला धन-काली तेरी कमाई
मुह भी काला कर अपना !
श्वेत वस्त्र वो टोपी छोडो
भारत-भारती श्वेत हंस -जनता प्यारी से
दूर हटो तुम
दूर हटो तुम ………
चीख -चीख अपना कहना !!
आओ मिलकर शोर मचाएं
चीख -चीख हम रोयें
—————————-
धैर्य हमारा टूट न जाये
लग जाए ना आग
अभी होश में आ जाओ
या भाग सके तो भाग
अब मैराथन शुरू हो गयी
लम्बी चले लड़ाई
गुरु -”माँ” की कुछ सीख बची तो
धर्म -न्याय का राह पकड ले
बन रक्षक कहलाये भाई !!
आओ मिलकर शोर मचाएं
चीख -चीख हम रोयें !!
———————————
शुक्ल भ्रमर ५
जल पी बी
१७.८.२०११

मंगलवार, 16 अगस्त 2011

अन्ना की गिरफ्तारी भारत में जनतांत्रिक अधिकारों पर सीधा हमला



हमेशा सत्य का ग्रहण और असत्य का परित्याग करना चाहिये।
महर्षि दयानंद सरस्वती 

अन्ना की गिरफ्तारी भारत में जनतांत्रिक अधिकारों पर सीधा हमला
विगत कई दिनों से अन्ना के देश जागृति मिशन में शामिल होने के कारण मै इन्टरनेट पर समय न दे पाया तथा न अन्य दोस्तों के ब्लॉग पर ही उपस्थित हो पाया | इसके लिए कृपया  आप  मुझ  नाचीज  को क्षमा  करेंगे  |  अभी  शायद अगले  हफ्ते  तक भी  उपस्थित होने का अवसर न मिले | जिस तरह से आज आलोकतांत्रिक तरीके से अन्ना हजारे को पुलिस द्वारा गिरफ्तार  किया गया क्या ये उचित था ? अन्ना की गिरफ्तारी भारत में जनतांत्रिक अधिकारों पर सीधा हमला है । सरकार गांधीवादी तरीके से भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई लड़ने वालों और भ्रष्टाचार की संस्कृति से देश को उबारने की कोशिश करने वालों के खिलाफ ज्यादती कर रही है । क्या यह सरकारी गुंडों मवालीओं की सरकार है ?  अन्ना हजारे और उनकी टीम की गिरफ्तारी के विरोध में दिल्ली के साथ-साथ देशभर में विरोध प्रदर्शन हो रहेहैं। युवा एकत्र होकर हाथ में तिरंगा लिए हुए ' अन्ना हजारे तुम संघर्ष करो , हम तुम्हारेसाथ है ' के नारे लगा रहे हैं। चूंकि पुलिस ने अन्ना को हिरासत में ले लिया है , लिहाजा  जरूरत पड़ने पर हम गिरफ्तारी भी देंगे। अन्ना जैसा इंसान रोज रोज पैदा नही होता जो जन कल्याण के लिए अपना जीवन कुर्बान कर दे | आज फैसले की घडी है और फैसला हमें करना है की हम अपने बच्चों के लिए कैसा हिन्दुस्तान चाहते है ?  ऐसा दिन रोज रोज नहीं आता जब हम चुनाव कर सकें | इसलिए अगर अन्ना का और स्वच्छ समाज का साथ देना है तो इसे व्यक्त भी  करे की आप किसके साथ है | देश का हर व्यक्ति आज उनके साथ खड़ा है | देश की जनता भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई के लिए नींद से जग चुकी है। भ्रष्टाचार के खिलाफ केवल एक अन्ना हजारे लड़ाई नहीं लड़ रहे , बल्कि हजारों लोग लड़ाई लड़ रहे हैं। केंद सरकार को अन्ना हजारे की बात माननी ही होगी। '' 
आज छिड़ी जंग है
सत्य अपने संग है 
छल के साथ खड़ा हुवा
सामने भुजंग है 
             
जो निहत्थों पर वार करे 
उसे क्यों न कायर कहें
जो सोते हुवे को रौंद दे 
उसे क्यों न डायर कहें

भ्रस्टाचार में जो डूबे खुद 
वो भ्रस्टाचार क्या मिटायेंगे  
छल भरा जिनके दिल में 
वो आचार क्या सिखायेंगे

राम लीला मैदान था 
टूट पड़ा शैतान था
सत्ता के इस खेल में 
सत्ता बना हैवान था

सर पर पहले खूब बैठाया 
छल का ऐसा जाल फैलाया    
कैसा कैसा खेल खिलाया
फिर भी वह उनके हाथ न आया 

सन्यासी पर कलंक लगाया
हाय रे कैसा दुर्दिन आया 
दिग्गी की गीदड़ भभकी देखी 
वाह रे सत्ता तेरी माया

बन्दुक न तलवार है 
सत्य ही अपना हथियार है 
सब्र की इम्तिहान न ले जालिम
हमने मानी अभी न हार है

अब न हो मायूस अन्ना 
हम तुम्हारे साथ हैं
क्या हुवा कमजोर है हम
पर हम तुम्हारे साथ हैं

नपुंसकों की बस्ती वाली
कायर ये सरकार है
खुले आम देखो लुट मची है 
ये कैसी मक्कार है

न्याय की देवी क्या न्याय करेगी  
स्वार्थ की पट्टी बंधी जब आखों पर 
अंजामे गुलसिता क्या होगा 
जब उल्लू बैठे हर शाखों पर