रविवार, 3 अप्रैल 2011

नव वर्ष की शुभकामनायें..

भारत के विश्व कप जितने पर अनेको लेखों से ब्लॉगजगत पट गया तो सोचा की मैं कुछ लिखकर कोई नयी जानकारी तो साझा नहीं कर सकूँगा इसलिए मैंने आज के परिवेश में महत्वहीन होते हुए एक त्यौहार हिन्दू नव वर्ष के शुभागमन के ऊपर थोडा प्रकाश डालने का प्रयत्न किया है..
हमारी वर्तमान मान्यताएं और आज का भारतीय : वर्तमान परिवेश में पश्चिम का अन्धानुकरण करते हुए हम ३१ दिसम्बर की रात को कडकडाती हुए ठण्ड में नव वर्ष काँप काँप कर मानतें है..पटाके फोड़ते है,मिठाइयाँ बाटते हैं और शुभकामना सन्देश भेजते है..कहीं कहीं मास मदिरा तामसी भोजन का प्रावधान भी होता है..अश्लील नृत्य इत्यादि इत्यादि फिर भी हमें ये युक्तिसंगत लगता है..
विश्व में हजारों सभ्यताएं हुई हैं और हजारों पद्धतियाँ है सबकी अपनी अपनी..... शायद ३१ दिसम्बर की रात या १ जनवरी को नव वर्ष मनाने का कोई वैज्ञानिक आधार हो, मगर मैंने आज तक नहीं देखा... फिर भी ये उनकी अपनी पद्धति है, मगर हमारी दुम हिलाने की आदत गयी नहीं आज तक, शुरू कर देते है पटाके फोड़ना..विडंबना ये है की क्या कभी आप ने किसी अमेरिकी को हिन्दू नव वर्ष मानते देखा है..
मैं ये कहना जरुरी समझता हूँ की १ जनवरी को कुछ भी वैज्ञानिक दृष्टि से नवीन नहीं होता मगर फिर भी नव वर्ष होता है..

हिन्दू नव वर्ष कब मनाया जाता है : हिन्दू पंचांग के अनुसार चैत्र माह के शुक्ल प्रतिपदा के प्रथम दिन हिन्दू नव वर्ष मनाया जाता है..ऐसी मान्यता है की सतयुग का प्रथम दिन भी इसी दिन शुरू हुआ था..एक अन्य मान्यता के अनुसार ब्रम्हा ने इसी दिन सृष्टि का सृजन शुरू किया था..भारत के कई हिस्सों में गुडी पड़वा या उगादी पर्व मनाया जाता है.इस दिन घरों को हरे पत्तों से सजाया जाता है और हरियाली चारो और दृष्टीगोचर होती है.


इस वर्ष पश्चिमी कलेंडर के अनुसार ये वर्ष ४ अप्रैल २०११ को शुरू होगा..चलिए ये तो रही मान्यताएं और इतिहास की बातें अब कुछ वैज्ञानिक तथ्यों को भी जान लें..

हिन्दू नव वर्ष के वैज्ञानिक तथ्य:

१ चैत्र माह मतलब हिन्दू नव वर्ष के शुरू होते ही रातें छोटी और दिन बड़े होने लगते है..
२ पेड़ों पर नवीन पत्तियों और कोपलों का आगमन होता है..पतझड़ ख़तम होता है और बसंत की शुरुवात होती है..
३ प्रकृति में हर जगह हरियाली छाई होती है प्रकृति का नवश्रृंगार होता है..
४ धर्म को मानने वाले लोग पूजा पाठ करते है मंदिर जातें है नदी स्नान करतें है..
५ भास्कराचार्य ने इसी दिन को आधार रखते हुए गड़ना कर पंचांग की रचना की।

आप ही सोचे क्या जनवरी के माह में ये नवीनता होती है नहीं तो फिर नव वर्ष कैसा..शायद किसी और देश में जनवरी में बसंत आता हो तो वो जनवरी में नव वर्ष हम क्यूँ मनाये ....

चलिए आप सभी को नव वर्ष की ढेरों शुभकामनायें आशा करूँगा की ये नव वर्ष आप सभी के जीवन में अपार हर्ष और खुशहाली ले कर आये.. जाते जाते एक जानकारी के साथ छोड़ जाता हूँ हिन्दू पंचांग महीनो के नाम और पश्चिम में कैलेंडर में उस माह का अनुवाद
चैत्र--- मार्च-अप्रैल
वैशाख--- अप्रैल-मई
ज्येष्ठ---- मई-जून
आषाढ--- जून-जुलाई
श्रावण--- जुलाई - अगस्त
भाद्रपद--- अगस्त -सितम्बर
अश्विन्--- सितम्बर-अक्टूबर
कार्तिक--- अक्टूबर-नवम्बर
मार्गशीर्ष-- नवम्बर-दिसम्बर
पौष----- दिसम्बर -जनवरी
माघ---- जनवरी -फ़रवरी
फाल्गुन-- फ़रवरी-मार्च



अब क्रिकेट की कुछ क्रिकेट के दीवानों लिए: भारतीय टीम के दो सदस्यों के नाम, आश्विन एवं कार्तिक भी हिंदी महीनो के नाम पर है,किसी क्रिकेटर का नाम है क्या भारतीय क्रिकेट टीम में अगस्त सितम्बर या जुलाई ??

नव वर्ष मंगल मय हो...

बोलो भैया दे दे तान
हिंदी हिन्दू हिन्दुस्थान.......

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आशुतोष की कलम से.
हिंदी कविता-कुछ अनकही कुछ विस्मृत स्मृतियाँ
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2 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत अच्छा जानकारी साझा किया है आपने. जितनी भी तारीफ की जाय कम ही होगा.
    आपको हार्दिक शुभ कामनाएं.. .

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