कब हमें शर्म आएगी..............?
आज पूरा देश जीत की खुशियाँ मना रहा था. लोग मगन थे की पाकिस्तान पर जीत दर्ज कर भारत विश्व-विजय कर लिया. शायद फ़ाइनल के दिन इतने पटाखे न छूटे जितने आज छुट गए. ११ लोंगो ने खेल के प्रति जिम्मेदारी दिखाई व इमानदार बने रहे. पूर्णतः १०० प्रतिशत इमानदार, जिसके कारण पूरा भारत इतरा रहा है. नेट पर आया अनवर भाई से बात की फिर "भारतीय ब्लॉग लेखक मंच" द्वारा आयोजित "महाभारत २०११ प्रथम के विजेता की घोषणा की, फिर समाचार देखे तो शर्म के कारण सारी खुशियाँ काफूर हो गयी, भ्रष्टाचार के मामले में भी भारत जीत चूका था, हालाँकि चौथे नंबर पर आने का कष्ट भी रहा, अरे हरामखोरो बेईमानी दिखाई तो ईमानदारी के साथ दिखाते ताकि वहा भी हम नंबर वन रहते.. चलो कोई बात नहीं, हम तो बेशरम ठहरे. कभी न कभी भ्रष्टाचार का कप हमारे यहाँ आएगा ही. आखिर हम भी तो सहयोग कर रहे है. अरे भाई पढ़े लिखे है तभी तो कर रहे है.
जी हाँ हम सही कह रहे हैं आज हमारी वजह से भ्रष्टाचार बढ़ रहा है. ऊपर हम बैठते है और ऊपर बैठने वाले हमें भूल जाते हैं.
सिंगापुर. हांगकांग स्थित प्रमुख बिजनेस कंसल्टेंसी फर्म पीईआरसी के ताजा सर्वे में भारत को एशिया प्रशांत क्षेत्र के 16 देशों की सूची में चौथा सबसे भ्रष्ट देश बताया गया है।
पॉलिटिकल एंड इकोनॉमिक रिस्क कंसल्टेंसी लि. (पीईआरसी) ने भारत को 0 से 10 के स्केल पर 8.67 पर रखा है। इस हिसाब से यह फिलीपींस (8.9), इंडोनेशिया (9.25) और कंबोडिया (9.27) के बाद इस क्षेत्र का सबसे भ्रष्ट देश है।
इस नवीनतम रिपोर्ट में 16 देशों की सूची में थाईलैंड 7.55 के स्केल के साथ 11वें नंबर पर है। उसके बाद चीन (7.93) तथा वियतनाम (8.3) को रखा गया है।
सिंगापुर को सबसे नीचे रखा गया है जिसे 0.37 अंक मिले हैं। पीईआरसी ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि भारत में भ्रष्टाचार का दायरा बढ़ा है और कांग्रेसनीत यूपीए सरकार के दूसरे कार्यकाल में पूरी तरह छाया हुआ है। सरकार टेलीकॉम लाइसेंस से लेकर कॉमनवैल्थ खेलों के आयोजन, सेना की जमीन, सरकारी वित्तीय संस्थानों के लोन घोटालों से घिरी हुई है।
सबसे ज्यादा भ्रष्ट
1. कंबोडिया (9.27)
2. इंडोनेशिया (9.25)
3. फिलीपींस (8.9)
4. भारत (8.67)
5. वियतनाम (8.3)
.
सबसे कम भ्रष्ट
1. सिंगापुर (0.37)
2. हांगकांग (1.10)
3. ऑस्ट्रेलिया (1.39)
पॉलिटिकल एंड इकोनॉमिक रिस्क कंसल्टेंसी लि. (पीईआरसी) ने भारत को 0 से 10 के स्केल पर 8.67 पर रखा है। इस हिसाब से यह फिलीपींस (8.9), इंडोनेशिया (9.25) और कंबोडिया (9.27) के बाद इस क्षेत्र का सबसे भ्रष्ट देश है।
इस नवीनतम रिपोर्ट में 16 देशों की सूची में थाईलैंड 7.55 के स्केल के साथ 11वें नंबर पर है। उसके बाद चीन (7.93) तथा वियतनाम (8.3) को रखा गया है।
सिंगापुर को सबसे नीचे रखा गया है जिसे 0.37 अंक मिले हैं। पीईआरसी ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि भारत में भ्रष्टाचार का दायरा बढ़ा है और कांग्रेसनीत यूपीए सरकार के दूसरे कार्यकाल में पूरी तरह छाया हुआ है। सरकार टेलीकॉम लाइसेंस से लेकर कॉमनवैल्थ खेलों के आयोजन, सेना की जमीन, सरकारी वित्तीय संस्थानों के लोन घोटालों से घिरी हुई है।
सबसे ज्यादा भ्रष्ट
1. कंबोडिया (9.27)
2. इंडोनेशिया (9.25)
3. फिलीपींस (8.9)
4. भारत (8.67)
5. वियतनाम (8.3)
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सबसे कम भ्रष्ट
1. सिंगापुर (0.37)
2. हांगकांग (1.10)
3. ऑस्ट्रेलिया (1.39)
4. जापान (1.90) {आभार-दैनिक भास्कर"
सर्वे के मुताबिक भारत के राष्ट्रीय नेता कम भ्रष्ट हैं जबकि छोटे स्तर के अधिकारी व नेता ज्यादा भ्रष्ट हैं। सर्वे में राष्ट्रीय नेताओं को 9.27 प्वाइंट दिए गए हैं जबकि स्थानीय स्तर के नेताओं व अधिकारियों के खाते में 8.97 प्वाइंट गए हैं।----------------------------------------
भारत के राष्ट्रिय नेता कम भ्रष्ट हैं जबकि स्थानीय नेता व अधिकारी अधिक......
जरा सोचिये पिछले दिनों जब मुख्यमंत्री सुश्री मायावती जी का दौरा हुआ तो. सभी तहसीलों,थानों,विकास भवन व सभी सरकारी भवनों तथा आंबेडकर गावो के दिन लौट आये. अधिकारी रात-दिन जागकर विकास कार्य किये ताकि वे सी एम के कोप का निशान न बने, अब जरा सोचिये लोग चर्चा करते हैं की हर जनपद से एक बंधी बंधाई रकम बसपा प्रमुख को जाता है. जब अधिकारी पैसा ही पहुंचाते थे तो घबराहट क्यों.? इसका सीधा मतलब है की सारा भ्रष्टाचार नीचे से शुरू होता है. जब ऊपर का डर सताता है तो विकास कार्य शुरू अन्यथा चिल्लाते रहो बाप का राज़ है. कोई क्या कर लेगा..
जरा सोचिये..... वोट देना हमारा अधिकार नहीं नैतिक जिम्मेदारी भी है. फिर भी हम अपनी जिम्मेदारी से भागते हैं. वोट हमें देना चाहिए अपने बच्चो,अपने समाज,अपने देश, अपने हित में देखकर. पर क्या हम कभी अपने वोट की कीमत समझते हैं. नहीं हम हमेशा यही सोचते है हमारे एक वोट से क्या होगा. जरा सोंचे ४० प्रतिशत संख्या सरकार बना रही है. और ६० प्रतिशत कोसती है की भ्रष्टाचार है.........? इनमे अधिक संख्या कथित पैसे वाले औए नौकरी वालो की है. कही नौकरी वाले को छुट्टी नहीं मिलती और मिल भी गयी तो वह घर में बैठकर सेलिब्रेट करेगा वाह भाई बीबी के साथ रोमांटिक बात न करे.
और जो ४० पर्तिशत जाते हैं. वे हिन्दू,मुसलमान, ठाकुर,ब्रह्मण,यादव,दलित,बनिया या कुछ और होते हैं उन्हें अपने बच्चो का भविष्य नहीं दिखाई देता, उन्हें अपने जाती व धर्म की ऊँची नाक या मुर्गा-दारू की बोतल दिखाई देती है. जो लोग देश समाज और आने वाली पीढ़ी के भविष्य देखकर जाते है जरा बताएं उनकी संख्या कितनी होगी.
यदि हम सही रूप से व जिम्मेदारीपूर्वक वोट का प्रयोग करें. धर्म, जाती नहीं बच्चो का भविष्य चुने तो पैसे की लड़ाई नहीं होगी चुनाव में, इमानदार आदमी जीतेगा जिसे पैसा नहीं सम्मान प्यारा होगा और वह आपको साथ लेकर अधिकारीयों को इमानदार बनाने की मुहीम छेड़ेगा, आपकी समस्या ऊपर तक पहुंचाएगा.. वह पैसे खर्च नहीं किये तो विकास कार्यो की अनदेखी नहीं करेगा. भारत भ्रष्ट चार में नहीं ईमानदारी में नाम कमाएगा.
जी हां, आप इस आरोप से बरी हो सकते हैं. आपने वोट भले ही नहीं दिया, पर घूस को मारिये घूँसा, सूचना के अधिकार का प्रयोग कीजिये, अपने इस अधिकार का यदि ईमानदारी से करें. विकास कार्यो की जाँच अधिकारी ही नहीं आप भी कर सकते हैं. आपके पास पावर है, और यह पावर उन्ही ने दिया है जो भ्रष्टाचार के अंग बने हुए हैं. आप जानते हैं जब देवता,ऋषि मुनि के रूप में ईश्वर खुश होकर किसी राक्षस को अमर होने का वरदान देते थे तो उसकी मौत का कारण भी बता देते थे, भ्रष्टाचार के पोषको ने भ्रस्टाचार रुपी राक्षस को ख़त्म करने का हथियार दिया है तो उसका प्रयोग भी करें. आइये अपनी जिम्मेदारी निभाएं.
{सभी फोटो -- गूगल महराज}
भारत के राष्ट्रिय नेता कम भ्रष्ट हैं जबकि स्थानीय नेता व अधिकारी अधिक......
जरा सोचिये पिछले दिनों जब मुख्यमंत्री सुश्री मायावती जी का दौरा हुआ तो. सभी तहसीलों,थानों,विकास भवन व सभी सरकारी भवनों तथा आंबेडकर गावो के दिन लौट आये. अधिकारी रात-दिन जागकर विकास कार्य किये ताकि वे सी एम के कोप का निशान न बने, अब जरा सोचिये लोग चर्चा करते हैं की हर जनपद से एक बंधी बंधाई रकम बसपा प्रमुख को जाता है. जब अधिकारी पैसा ही पहुंचाते थे तो घबराहट क्यों.? इसका सीधा मतलब है की सारा भ्रष्टाचार नीचे से शुरू होता है. जब ऊपर का डर सताता है तो विकास कार्य शुरू अन्यथा चिल्लाते रहो बाप का राज़ है. कोई क्या कर लेगा..
जरा सोचिये..... वोट देना हमारा अधिकार नहीं नैतिक जिम्मेदारी भी है. फिर भी हम अपनी जिम्मेदारी से भागते हैं. वोट हमें देना चाहिए अपने बच्चो,अपने समाज,अपने देश, अपने हित में देखकर. पर क्या हम कभी अपने वोट की कीमत समझते हैं. नहीं हम हमेशा यही सोचते है हमारे एक वोट से क्या होगा. जरा सोंचे ४० प्रतिशत संख्या सरकार बना रही है. और ६० प्रतिशत कोसती है की भ्रष्टाचार है.........? इनमे अधिक संख्या कथित पैसे वाले औए नौकरी वालो की है. कही नौकरी वाले को छुट्टी नहीं मिलती और मिल भी गयी तो वह घर में बैठकर सेलिब्रेट करेगा वाह भाई बीबी के साथ रोमांटिक बात न करे.
और जो ४० पर्तिशत जाते हैं. वे हिन्दू,मुसलमान, ठाकुर,ब्रह्मण,यादव,दलित,बनिया या कुछ और होते हैं उन्हें अपने बच्चो का भविष्य नहीं दिखाई देता, उन्हें अपने जाती व धर्म की ऊँची नाक या मुर्गा-दारू की बोतल दिखाई देती है. जो लोग देश समाज और आने वाली पीढ़ी के भविष्य देखकर जाते है जरा बताएं उनकी संख्या कितनी होगी.
यदि हम सही रूप से व जिम्मेदारीपूर्वक वोट का प्रयोग करें. धर्म, जाती नहीं बच्चो का भविष्य चुने तो पैसे की लड़ाई नहीं होगी चुनाव में, इमानदार आदमी जीतेगा जिसे पैसा नहीं सम्मान प्यारा होगा और वह आपको साथ लेकर अधिकारीयों को इमानदार बनाने की मुहीम छेड़ेगा, आपकी समस्या ऊपर तक पहुंचाएगा.. वह पैसे खर्च नहीं किये तो विकास कार्यो की अनदेखी नहीं करेगा. भारत भ्रष्ट चार में नहीं ईमानदारी में नाम कमाएगा.
जी हां, आप इस आरोप से बरी हो सकते हैं. आपने वोट भले ही नहीं दिया, पर घूस को मारिये घूँसा, सूचना के अधिकार का प्रयोग कीजिये, अपने इस अधिकार का यदि ईमानदारी से करें. विकास कार्यो की जाँच अधिकारी ही नहीं आप भी कर सकते हैं. आपके पास पावर है, और यह पावर उन्ही ने दिया है जो भ्रष्टाचार के अंग बने हुए हैं. आप जानते हैं जब देवता,ऋषि मुनि के रूप में ईश्वर खुश होकर किसी राक्षस को अमर होने का वरदान देते थे तो उसकी मौत का कारण भी बता देते थे, भ्रष्टाचार के पोषको ने भ्रस्टाचार रुपी राक्षस को ख़त्म करने का हथियार दिया है तो उसका प्रयोग भी करें. आइये अपनी जिम्मेदारी निभाएं.
{सभी फोटो -- गूगल महराज}